शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा या कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं।
शरद पूर्णिमा को धन और समृद्धि का त्योहार माना जाता है। इस दिन लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और खीर बनाते हैं। मान्यता है कि खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने से वह अमृत के गुणों से भर जाती है। इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा के दिन लोग कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस दिन लोग स्नान, ध्यान और दान करते हैं। कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और मिठाईयां बांटते हैं।
शरद पूर्णिमा भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में इस दिन कोजागरी पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग रात भर जागकर देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। बिहार में इस दिन रास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग राधा और कृष्ण की पूजा करते हैं। आंध्र प्रदेश में इस दिन कौमुदी व्रत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और खीर बनाते हैं।
शरद पूर्णिमा एक खुशहाल और शुभ अवसर है। इस दिन लोग धन और समृद्धि की कामना करते हैं। यह एक ऐसा दिन है जब लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और खुशियां मनाते हैं।
शरद पूर्णिमा के महत्व
शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन को धन और समृद्धि का त्योहार माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाना और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखना भी एक महत्वपूर्ण प्रथा है। मान्यता है कि ऐसा करने से खीर में अमृत के गुण आ जाते हैं। इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा के कुछ पारंपरिक अनुष्ठान
- स्नान, ध्यान और दान
- उपवास
- घरों को सजाना
- मिठाईयां बांटना
- देवी लक्ष्मी की पूजा
- खीर बनाना और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखना
शरद पूर्णिमा 2023 कब है
शरद पूर्णिमा 2023 शनिवार, 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 29 अक्टूबर को रात 01 बजकर 53 मिनट पर होगा। उदयातिथि और पूर्णिमा में चंद्रोदय समय के आधार पर इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा या कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो धन और समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोग खीर बनाते हैं और इसे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से खीर में अमृत के गुण आ जाते हैं।
शरद पूर्णिमा शुभ समय
शरद पूर्णिमा का शुभ समय निम्नलिखित है:
- पूजा का मुहूर्त: 28 अक्टूबर, शनिवार को शाम 06:00 बजे से रात 01:00 बजे तक
- चंद्रोदय का समय: 28 अक्टूबर, शनिवार को शाम 05:52 बजे
- चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की किरणों में खीर रखने का समय: 28 अक्टूबर, शनिवार को शाम 06:00 बजे से रात 01:00 बजे तक
शरद पूर्णिमा के दिन पूजा करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- गंगाजल
- चावल
- दूध
- चीनी
- खसखस
- इलायची
- केसर
- फल
- माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर
पूजा विधि:
- सबसे पहले घर को साफ-सुथरा करें और दीवारों पर रोशनी करें।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- गंगाजल से माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को स्नान कराएं।
- चावल, दूध, चीनी, खसखस, इलायची, केसर आदि से खीर बनाएं।
- खीर को माता लक्ष्मी को भोग लगाएं।
- माता लक्ष्मी की आरती करें।
- प्रसाद बांटें।
शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में रखने का भी महत्व है। मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों से खीर अमृत के समान हो जाती है।