शनिदेव का ऐसे करें पूजन और व्रत 

सभी लोग जीवन में सुख् शांति चाहते हैं और उसके लिए प्रयास करते हैं पर कई बार मेहनत के बाद भी लाभ नहीं होता। इसका कारण यह है कि जीवन में ग्रहों का प्रभाव बहुत प्रबल माना जाता है और उस पर भी शनि ग्रह अशांत हो जाएं तो जीवन में कष्टों का आगमन शुरू हो जाता है। इसलिए शनि दोष से पीड़ित जातकों को शनिवार के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनका पूजन और व्रत रखना चाहिये। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहा धोकर और साफ कपड़े पहनकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें।

  • लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • फिर मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें।
  • इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से पूजा करें।
  • पूजन के दौरान शनि के दस नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर।
  • पूजन के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें।
  • इसके बाद शनिदेव का मंत्र पढ़ते हुए प्रार्थना करें।
  • शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव।
  • इसी तरह सात शनिवार तक व्रत करते हुए शनि के प्रकोप से सुरक्षा के लिए शनि मंत्र की समिधाओं में, राहु की कुदृष्टि से सुरक्षा के लिए दूर्वा की समिधा में, केतु से सुरक्षा के लिए केतु मंत्र में कुशा की समिधा में, कृष्ण जौ, काले तिल से 108 आहुति प्रत्येक के लिए देनी चाहिए।
  • फिर अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराकर लौह वस्तु धन आदि का दान अवश्य करें।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *