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खादी को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने का बीड़ा उठाया रिवाज संस्था ने

Dharmender Singh Malik
2 Min Read

आगरा । खादी’ का अर्थ है ऐसा कपड़ा जो हाथों द्वारा काता और हाथ से बुना जाता है। महात्मा गांधी ने खादी को राष्ट्रीयता, आत्म निर्भरता और समानता के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने जब पहली बार खादी आंदोलन की शुरूआत की, गांधीजी ने हाथों से बुने जाने वाले इस कपड़े की परिकल्पना गरीब जनता के लिए आय के एक साधन के रूप में की। लेकिन आधुनिकता के दौर में खादी का प्रचलन कम होता जा रहा है, खासकर युवा वर्ग इससे विमुख हो रहा है। इसीलिए संस्था यह प्रयास कर रही है कि खादी के प्रति लोगों को जागृत किया जाए और खादी को बढ़ावा एवं प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। उक्त बात रिवाज संस्था अध्यक्ष मधु सक्सेना ने खादी ने कही।

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खादी को एक फैशन के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संस्था लगातार के प्रयासरत है कि खादी युवाओं के बीच प्रचलित हो।

संस्था के माध्यम से हम खादी के उत्पादों को जन जन तक पहुंचाने और लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयास करेंगे। डिजायनर श्वेता वाष्णेय द्वारा डिजाइन किए गए खादी के बेहतरीन वस्त्रों को प्रदर्शित किया गया एवं खादी अपनाने के फायदे बताए गए। कार्यक्रम में संस्था के सदस्यों के अलावा तमाम लोग शामिल हुए जिन्होंने खादी अपनाने पर सहमति जताई।

इस मौके पर प्राची शिवहरे, डॉ अनीता पाराशर , प्रशांत सत्संगी, राहुल बंसल , पारुल चौहान, शालिनी जी, कविता ऐशवाल सहित संस्था से जुड़े अन्य लोग मौजूद रहे।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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