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यूपी में फार्मेसी के 427 कॉलेजों को मिली बड़ी राहत, उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को किया रद्द

Kulindar Singh Yadav
3 Min Read

लखनऊ | मई माह में बोर्ड आफ टेक्निकल एजुकेशन उत्तर प्रदेश ने 427 कॉलेजों की मान्यता रद्द करने का फैसला लिया था | बोर्ड आफ टेक्निकल एजुकेशन का आरोप था कि संबंधित कॉलेजों ने एफिडेबिट में गलत जानकारी देकर गुमराह किया है | बोर्ड का यह भी कहना था कि अब यह 427 कॉलेज लाइफटाइम फार्मेसी कॉलेज नहीं खोल पाएंगे |

 

आपको बताते चलें वर्ष 2022 में लगभग 1000 कॉलेजों को डी फार्मा पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए फार्मेसी काउंसिल के स्टैंडर्ड के आधार पर एनओसी दी गई थी | बोर्ड के अनुसार जब एनओसी जारी करने के बाद शपथ पत्र में बताए गए स्टैंडर्ड की जांच की गई तो 427 कॉलेज अवैध निकले | इसके तुरंत बाद बोर्ड ने 427 कॉलेज की एनओसी को कैंसिल और मान्यता को रद्द कर दिया | सूत्रों ने बताया कि सच्चाई यह थी कि 90 फ़ीसदी से ज्यादा कॉलेज मानक के अनुरूप थे मात्र 10 फ़ीसदी कॉलेज मानकों को पूरा नहीं कर रहे थे | लेकिन बड़ी संख्या और बड़ी कार्रवाई दिखाकर सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में नियमों को ताख पर रखकर 427 कॉलेज को निशाना बना दिया गया | सूत्र तो यह भी बताते हैं कि दोबारा की गई जांच में भी ऊपर तक पहुंच वाले कई कॉलेज जो मानकों को पूरा भी नहीं कर रहे थे उनकी भी एनओसी क्लियर कर दी गई |

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इसके बाद फार्मेसी कॉलेज के संचालकों ने हाई कोर्ट का रुख किया | लगभग तीन माह की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने बोर्ड ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन उत्तर प्रदेश के फार्मेसी कॉलेज की एनओसी कैंसिल करने के आदेश को रद्द कर दिया | हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया जो की फार्मेसी संस्थाओं की गवर्निंग बॉडी है | वह केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है, इसके साथ ही टेक्निकल एजुकेशन समवर्ती सूची का विषय है और समवर्ती सूची का विषय होने के कारण यदि केंद्र का कोई नियम है तो वह राज्य पर बाध्यकारी होता है | फार्मेसी संस्थाओं के लिए पूरे भारत में एक ही नियम कानून होता है | ऐसे में कोई राज्य अलग से इस प्रकार का कानून नहीं बन सकता | उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि किसी भी राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार से पीसीआई के कार्य में अलग से नियम बनाकर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता |

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हाई कोर्ट ने अपने इस निर्णय में वर्ष 1995 के तमिलनाडु राज्य बनाम वहां के एक फार्मेसी संस्थान के मामले को इस निर्णय का आधार बताया | जिसमें स्पष्ट रूप से सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य के इस निर्णय को खारिज कर दिया था | निर्णय पक्ष में आते ही फार्मेसी संस्थान के संचालकों में हर्ष का माहौल देखा गया |

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