Advertisement

Advertisements

आगरा की पहचान पे नक़लीपन का साया, कहां गया वो हुनरमंदों का ज़माना?

Dharmender Singh Malik
5 Min Read
आगरा की पहचान पे नक़लीपन का साया, कहां गया वो हुनरमंदों का ज़माना?

बृज खंडेलवाल 

ये बात हैरान कर देने वाली है कि आगरा के लोग इस बात पर शर्मिंदा नहीं होते कि उनका शहर अब ठगों और धोखेबाजों की धरती के तौर पर जाना जाने लगा है। आज आगरा नकली और मिलावटी सामान की राजधानी बन चुका है। यहां की हवा, पानी और लोगों की सोच तक मिलावट से भर चुकी है। तेज़ी से पैसा कमाने की हवस और शॉर्टकट अपनाना यहां का नया उसूल बन चुका है।

एक ज़माने में औद्योगिक ताक़त और सांस्कृतिक विरासत के लिए मशहूर आगरा आज ‘स्प्यूरियस प्रोडक्ट्स की राजधानी’ कहलाता है। यह शहर अब नकली माल और धोखाधड़ी के कारोबार का गढ़ बन गया है। शहर के बाज़ारों में ब्रांडेड मशीनों, पिस्टन, जेनरेटर, डिटर्जेंट, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स, और कोल्ड ड्रिंक्स तक की नकल खुलेआम बिक रही है। ब्रांडेड जूतों की सस्ती नकल धड़ल्ले से बिक रही है। हींग की मंडी हो या लोहा गली, राजा मंडी हो शाह मार्केट, नकली प्रोडक्ट्स की खरीद फरोख्त धड़ल्ले से चल रही है। नामी प्रोडक्ट्स के रैपर्स या खाली प्रिंटेड थैलियां लोकली उपलब्ध हैं। मॉल बनाओ, भरो और हॉफ रेट में बेचो, तो भी मुनाफा। मोबाइल ऑयल, इंडस्ट्रियल ऑयल, देशी घी सब कुछ नकली। चर्बी का बेहतर उपयोग। कई जानकार डॉक्टर कहते हैं आगरा में बिक रहे इंजेक्शंस का कोई साइड या आफ्टर इफेक्ट नहीं होता, “असली हों तब कुछ फायदा या नुकसान हो!!” शराबी कहते हैं चार पैग में भी नशा नहीं होता, पता नहीं अंग्रेजी में वो करेंट अब क्यों नहीं रहा!!

See also  सरकारी चावल को लगा रहे थे ठिकाने; रैकेट बेनकाब; चार गिरफ्तार #Agranews

आज के आगरा का ये नकलीपन 50 साल पहले के तेज़तर्रार और कारीगरों के शहर से एकदम उलट है। उस वक्त आगरा चमड़े के सामान, लोहे की ढलाई, हस्तशिल्प, काँच के बर्तन, आटा और तेल की मिलों, सूत और कालीन के लिए जाना जाता था। हज़ारों लोगों को रोज़गार देने वाले ये उद्योग अब या तो बंद हो चुके हैं या सस्ते और घटिया माल में तब्दील हो चुके हैं।

अब आगरा के बाज़ार नकली सामान से पटे पड़े हैं। नकली कोला, नकली डिटर्जेंट और नकली कॉस्मेटिक्स इतनी सफ़ाई से बनाए जा रहे हैं कि आम ग्राहक धोखा खा जाए। यहां तक कि सिंथेटिक खोया और पनीर का उत्पादन इलाके की कुल दूध सप्लाई से भी ज़्यादा है। हाल ही में आगरा एक्सप्रेसवे पर मथुरा से लखनऊ ले जाया जा रहा 4,800 किलो नकली पनीर पकड़ा गया—ये सब दिखाता है कि मिलावट का खेल कितना बड़ा और बेखौफ हो चुका है।

See also  गुरमीत राम रहीम को बड़ा झटका: सुप्रीम कोर्ट ने हटाया बेअदबी केस में रोक, होगी सुनवाई

ये मिलावटी धंधा खाने-पीने की चीज़ों तक सीमित नहीं है। आगरा में अब नकली डिग्रियों का धंधा भी खूब चल रहा है। मार्कशीट, डिप्लोमा और यूनिवर्सिटी सर्टिफिकेट्स खुले आम बिकते हैं, वो भी सस्ते दामों पर। ये कारोबार उन लोगों को रास आता है जो मेहनत से बचते हैं और शॉर्टकट में कामयाबी ढूंढते हैं।

और भी हैरान करने वाली खबरें सामने आई हैं—₹56 लाख की नकली सोना गिरवी रखना, फर्जी लोन लेना, और इंटरनेट पर साइबर धोखाधड़ी से लेकर फर्ज़ी शेयर दस्तावेज़ों तक का जाल फैल चुका है। 2007 में डॉ. बंसल केस में ₹500 करोड़ के नकली दवाओं के नेटवर्क का खुलासा हुआ था, जिसमें खांसी की नकली दवा से लेकर नकली मिनरल वॉटर तक शामिल था।

और सबसे अजीब हैं सामाजिक फरेब—फर्जी दुल्हनें, फर्जी प्रेग्नेंसी, और औरतों का साल में कई बार ‘डिलीवरी’ करना, ताकि सरकारी योजनाओं का फायदा उठाया जा सके। शिक्षा के क्षेत्र में भी हाल बुरे हैं—फर्जी छात्र, फर्जी स्कूल, नकली शिक्षक और हाजिरी का फरेब।
ये सब बताता है कि आगरा में अब नैतिकता की जगह फरेब और लालच ने ले ली है। ईमानदारी पीछे छूट चुकी है।

See also  अतीक के बेटे असद का मिला शेर ए अतीक नाम का वॉट्सऐप ग्रुप, 200 लोग बने थे मेंबर

शहर के इस पतन के पीछे कई वजहें हैं—बेलगाम बाजार, कानून का ढीला पालन, और जल्द पैसा कमाने की दौड़। पहले जो कारीगर अपने हुनर से आगरा को चमकाते थे, आज उनके स्थान पर नकलीपन और घटिया सामान ने ले ली है। नतीजा ये है कि अब आगरा में निवेश करने से लोग हिचकने लगे हैं।

ये बदलाव केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। मुगल विरासत और कारीगरी से सजे इस शहर की पहचान अब शक और फरेब से जुड़ गई है।

अगर आगरा को अपनी पुरानी पहचान वापस पानी है, तो ज़रूरत है सख्त कानूनों की, जनता में जागरूकता फैलाने की और ईमानदारी से बने सामान को बढ़ावा देने की।

 

 

 

Advertisements

See also  UP: श्रद्धालुओं से भरी बस में दौड़ा करंट, एक की मौत, दो गंभीर रूप से घायल; बस चालक की लापरवाही सामने
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement