आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा के जाने-माने पर्यावरण प्रेमी और “ट्री मैन” के नाम से मशहूर त्रिमोहन मिश्रा ने प्रकृति को बचाने का पुरजोर आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि प्रकृति में हर जीव का अपना महत्व है और पर्यावरण के संतुलन के लिए हर अंश पूजनीय है।
त्रिमोहन मिश्रा ने अपने संदेश में कहा कि सही और गलत देखने की हमारी दोहरी दृष्टि है, लेकिन तीसरी, समानांतर दृष्टि ही वास्तविकता को समझ सकती है। मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में मिल जाता है, जो सबका साझा सत्य है। हमारा असली धर्म, जाति या पद नहीं, बल्कि इस धरती को सजाना, संवारना और स्वच्छ रखना है। उन्होंने बचपन से ईश्वर को ऊपर ढूंढने की प्रवृत्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि असल में हमारा कर्तव्य नीचे, इस पृथ्वी को स्वर्ग बनाने में है।
उन्होंने मनुष्य जीवन की सीमित अवधि और कर्मों के चक्र पर भी प्रकाश डाला। मिश्रा ने कहा कि तेज बुद्धि का उपयोग एक-दूसरे की सहायता, साफ-सफाई और प्रकृति के संरक्षण के लिए करना चाहिए। गंदगी और बुरे कर्म नरक के समान हैं, जबकि सहायता, सफाई और सजावट अच्छे कर्म हैं, जिनका फल अगला जन्म निर्धारित करता है।
“प्रकृति हमें भोजन के साथ बहुत कुछ देती है। हमने अपनी सुविधा के अनुसार सब कुछ किया, लेकिन अब वापस लौटने का समय है। पृथ्वी के जिस हिस्से में पेड़-पौधे नहीं हैं, वहां उन्हें लगाकर हरा-भरा बनाएं। विकास की दौड़ में तरक्की करें, लेकिन प्रकृति को न भूलें,” उन्होंने जोर दिया।
त्रिमोहन मिश्रा ने मंगल ग्रह पर घर बनाने की महत्वाकांक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम अपने ही ग्रह को बचाने में विफल हो रहे हैं। उन्होंने पारिस्थितिकी तंत्र को समझने, पढ़ने और लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसे उन्होंने असली शिक्षा का उद्देश्य बताया। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी के मोबाइल और बनावटी समाजों में खोए रहने पर चिंता व्यक्त की और वेदों, पुराणों और शास्त्रों के ज्ञान को अपनाने का आह्वान किया।
“प्रकृति को मत छेड़ो, और न छेड़ने दो। मैं, ट्री मैन त्रिमोहन मिश्रा, जब तक जीवित हूँ, यह संदेश फैलाता रहूँगा। समाज खतरे में है, संभल जाओ। नहीं तो प्रकृति किसी भी तरह बदला लेना जानती है,” उन्होंने चेतावनी दी।
अंत में, उन्होंने सभी से आज से ही शुरुआत करने का आग्रह किया—अपने आस-पास की सफाई और सजावट से। यही “ट्री मैन: द पॉवर ऑफ अर्थ” की मुहिम है, जिसे वे आगरा से लगातार जागरूक करते रहेंगे।