वॉशिंगटन: क्या वाकई गूगल आपका डेटा सुरक्षित रखता है? इस सवाल पर एक बार फिर बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया है। दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल पर आरोप लगा है कि वह चोरी-छिपे यूजर्स का डेटा और लोकेशन ट्रैक करती है, बिना उनकी स्पष्ट अनुमति के। इस खुलासे के बाद यूजर्स की निजता को लेकर चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है।
टेक्सास का कड़ा प्रहार, गूगल पर भारी जुर्माना
अमेरिका के टेक्सास राज्य ने गूगल के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी गैरकानूनी तरीके से यूजर्स का डेटा इकट्ठा कर रही है। अब इस मामले में कोर्ट ने गूगल पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गूगल ने इस मामले को निपटाने के लिए 11740 करोड़ रुपये (लगभग $1.375 बिलियन) का भुगतान करने पर सहमति जताई है। यह जुर्माना कंपनी पर इसलिए लगाया गया है क्योंकि उस पर गलत तरीके से लोगों की निजी जानकारी का इस्तेमाल करने का आरोप सिद्ध हुआ है।
केन पैक्सटन ने खोला मोर्चा
यह मुकदमा 2022 में टेक्सास के अटॉर्नी जनरल केन पैक्सटन द्वारा दायर किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि गूगल बिना यूजर्स की सहमति के उनकी लोकेशन डेटा, इनकॉग्निटो मोड में प्राइवेट ब्राउजिंग हिस्ट्री और यहां तक कि फेशियल बायोमेट्रिक डिटेल्स जैसी संवेदनशील निजी जानकारी भी इकट्ठा कर रहा था। गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने के लिए गूगल द्वारा चुकाई गई यह राशि अब तक की सबसे बड़ी राज्य-स्तरीय जुर्माना राशि है।
पहले भी लग चुका है दाग
यह पहली बार नहीं है जब टेक्सास ने किसी बड़ी टेक कंपनी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की है। इससे पहले मेटा (फेसबुक) पर फेशियल रिकॉग्निशन डेटा का इस्तेमाल करने पर 1.4 बिलियन डॉलर (लगभग 11980 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया गया था। इसके अलावा, गूगल पर एक अलग मामले में गलत व्यापारिक प्रथाओं के लिए 5 हजार 980 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
टेक्सास के इस ताजा कदम ने एक बार फिर बिग टेक कंपनियों की डेटा संग्रह नीतियों और यूजर्स की निजता के संरक्षण को लेकर बहस छेड़ दी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस भारी जुर्माने के बाद गूगल अपनी डेटा नीतियों में क्या बदलाव करता है।