दिन सभी के कभी एक से नहीं रहते: आगरा के अंजना व शाह सिनेमा, कभी थे शान, आज जमींदोज

Dharmender Singh Malik
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आगरा के एमजी रोड और शहर के दूसरे छोर पर स्थित कभी मशहूर रहे अंजना और शाह सिनेमाघर अब इतिहास बन चुके हैं। मॉल संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण ये सिंगल-स्क्रीन थिएटर बंद हो गए हैं, और इनकी जगह अब आधुनिक शॉपिंग मॉल्स ने ले ली है।

आगरा: कहते हैं समय सबसे बड़ा बलवान होता है और यह बात आगरा के दो मशहूर सिनेमाघरों – अंजना और शाह – पर बिल्कुल सटीक बैठती है। कभी इन सिनेमाघरों के बाहर टिकटों के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती थीं, ब्लैक में टिकटें बिकती थीं, लेकिन आज ये दोनों ही सिनेमाघर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके हैं। मॉल संस्कृति के बढ़ते प्रभाव ने इन प्रतिष्ठित सिनेमाघरों को जमींदोज कर दिया है, और उनकी जगह अब आधुनिक शॉपिंग मॉल्स ने ले ली है।

‘अंजना’: ‘हम दिल दे चुके सनम’ की यादें

आगरा के एमजी रोड पर स्थित ‘अंजना’ सिनेमा कभी शहर के सबसे लोकप्रिय सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघरों में से एक था। खासकर संजय लीला भंसाली की ब्लॉकबस्टर फिल्म “हम दिल दे चुके सनम” के दौरान इस सिनेमाघर में दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ती थी। फिल्म देखने के लिए लोग घंटों पहले लाइन में लग जाते थे और टिकट मिलना भी मुश्किल हो जाता था। अंजना सिनेमा उस दौर की यादों को संजोए हुए था जब दोस्तों और परिवारों के साथ सिनेमाघरों में जाकर फिल्में देखना मनोरंजन का मुख्य साधन हुआ करता था।

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‘शाह’: ‘DDLJ’ का दीवानापन

वहीं, शहर के दूसरे छोर पर स्थित ‘शाह’ सिनेमा भी अपनी एक अलग पहचान रखता था। खासकर शाहरुख खान और काजोल की सदाबहार प्रेम कहानी “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” (DDLJ) के प्रदर्शन के दौरान ‘शाह’ सिनेमा में दर्शकों का ऐसा सैलाब उमड़ता था कि कई बार तो अतिरिक्त कुर्सियां लगानी पड़ती थीं। ‘शाह’ सिनेमा न केवल एक फिल्म देखने की जगह थी, बल्कि यह युवाओं के लिए एक हैंगआउट स्पॉट भी बन गया था, जहां वे अपनी पसंदीदा फिल्मों को बड़े पर्दे पर देखने का आनंद लेते थे।

मॉल कल्चर का बढ़ता प्रभाव

लेकिन समय बदला और मनोरंजन के तरीके भी बदल गए। मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों और मॉल संस्कृति के आगमन ने सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघरों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। आधुनिक सुविधाओं, बेहतर साउंड सिस्टम और एक ही छत के नीचे शॉपिंग और मनोरंजन के विकल्पों ने दर्शकों को मॉल्स की ओर आकर्षित किया। धीरे-धीरे अंजना और शाह जैसे प्रतिष्ठित सिनेमाघरों में दर्शकों की संख्या घटने लगी और आखिरकार इन्हें बंद करने का फैसला लेना पड़ा।

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गिनेचुने ही बचे सिनेमाघर

वर्तमान स्थिति की बात करें तो अब बस आगरा में कुछ ही सिनेमा घर बचे है। जानकारी करने पर पता चला की वो लोग बमुश्किल अपना खर्चा निकल पा रहे हैं।

जमींदोज हुई शान

आज अंजना और शाह सिनेमाघर केवल यादों में ही जिंदा हैं। उनकी इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं और उनकी जगह अब आधुनिक शॉपिंग मॉल्स ने ले ली है। यह बदलाव न केवल मनोरंजन के बदलते स्वरूप को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे समय के साथ हर चीज में परिवर्तन आता है। कभी आगरा की शान रहे ये सिनेमाघर आज भले ही भौतिक रूप से मौजूद न हों, लेकिन इनसे जुड़ी यादें आज भी शहर के कई लोगों के दिलों में ताजा हैं।

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दिन सभी के कभी एक से नहीं रहते: यह कहावत इन सिनेमाघरों के इतिहास पर बिल्कुल खरी उतरती है। कभी दर्शकों से गुलजार रहने वाले ये सिनेमाघर आज खामोश खंडहरों में तब्दील हो गए हैं। यह बदलाव हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और किसी भी चीज की लोकप्रियता हमेशा एक जैसी नहीं रहती।

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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