आधुनिक और पुरातन बिम्बों के दूरदर्शी नेता थे राजीव गाँधी

Dharmender Singh Malik
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आधुनिक और पुरातन बिम्बों के दूरदर्शी नेता थे राजीव गाँधी

झाँसी, उत्तर प्रदेश। आज, 21 मई, 2025 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 34वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष डॉ. सुनील तिवारी और सुल्तान आब्दी ने राजीव गांधी को “आधुनिक और पुरातन बिम्बों के दूरदर्शी नेता” बताते हुए उनके योगदानों को याद किया। 21 मई, 1991 को एक आतंकी हमले में शहीद हुए राजीव गांधी को नमन करते हुए उनके उन महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डाला गया, जिन्होंने भारत की दिशा बदल दी।

आधुनिकता और सैन्य पराक्रम के प्रतीक:

डॉ. सुनील तिवारी ने राजीव गांधी को याद करते हुए कहा कि वे ही थे जो 80 के दशक में देश में कंप्यूटर क्रांति लेकर आए, जिसने भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास की नींव रखी। इसके साथ ही, उन्होंने बोफोर्स तोपों की खरीद का भी जिक्र किया, जो भले ही विवादों में रही हों, लेकिन 1999 के कारगिल युद्ध में इन्हीं तोपों ने अपना पराक्रम दिखाकर पाकिस्तान पर भारत की जीत सुनिश्चित की।

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आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता और शांति पहल

राजीव गांधी आतंकवाद से लड़ने में अत्यंत दृढ़ थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 1988 का ऑपरेशन कैक्टस है, जब उन्होंने मालदीव में हो रहे तख्तापलट को रोकने के लिए भारतीय सेना भेजी और सफलतापूर्वक शांति बहाल की। इस सफल ऑपरेशन ने राजीव गांधी और भारतीय सेना का विश्व में डंका बजाया। इसके अलावा, श्रीलंका में गृह युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति जयवर्धने के साथ शांति समझौता किया और भारतीय सेना भेजकर वहां शांति कायम की।

शिक्षा, पेयजल और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा

राजीव गांधी ने देश के युवाओं को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने संसद में बिल पास कराकर 18 साल के छात्रों को मतदान का अधिकार दिलाया। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने गुरुकुल की तर्ज पर देशभर में नवोदय विद्यालयों की स्थापना करवाई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। उन्होंने देश की जनता को शुद्ध पेयजल मिले, इसके लिए हैंडपंप की योजना बनाकर गांव-गांव में हैंडपंप लगवाए।

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जनादेश का सम्मान – एक अद्वितीय मिसाल

राजीव गांधी के व्यक्तित्व का एक और महत्वपूर्ण पहलू जनादेश का सम्मान था। 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 197 सीटें जीती थीं और वह सबसे बड़ा दल था, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। राजीव गांधी ने यह कहते हुए सरकार बनाने से इनकार कर दिया कि जनता ने कांग्रेस को पूर्ण जनादेश नहीं दिया है। उन्होंने जनता के जनादेश का सम्मान किया और जोड़-तोड़ कर सरकार बनाने के बजाय, 144 सीट जीतने वाली जनता दल को सरकार बनाने का मौका दिया।

डॉ. सुनील तिवारी ने जोर दिया कि राजीव गांधी यूं ही महान नेता नहीं थे। उनके दौर में देश के डेवलपमेंट के लिए अनेक ब्लूप्रिंट तैयार किए गए थे। आज देश में जो विकास दिखाई दे रहा है, चाहे वह सड़कों का निर्माण हो, नदी जोड़ो परियोजना हो, या शुद्ध पेयजल और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ हों, इन सभी का खाका राजीव गांधी के समय में ही तैयार हो गया था।

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राजीव गांधी को उनके आधुनिक विचारों, दूरदृष्टि, देश के प्रति समर्पण और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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