आगरा: आगरा के पनवारी गांव में 34 साल पहले हुए कुख्यात पनवारी कांड में आज SC/ST कोर्ट ने 36 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। यह मामला 1990 से कोर्ट में चल रहा था, और इतने लंबे इंतजार के बाद अब पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी है। 30 मई को इन दोषियों को सजा सुनाई जाएगी।
क्या था पनवारी कांड?
यह घटना 21 जून 1990 को आगरा के पनवारी गांव में दलितों की शादी को लेकर हुए बवाल के बाद हुई थी। उस समय यह जातीय हिंसा इतनी बढ़ गई थी कि इसकी आग पास के अकोला तक पहुंच गई थी। सभी अभियुक्त अकोला के ही रहने वाले हैं। इस मामले में कागारौल थाने में तत्कालीन एसओ ओमपाल सिंह ने 24 जून 1990 को एक राहगीर की सूचना पर मुकदमा दर्ज किया था।
लंबी चली न्यायिक प्रक्रिया
पिछले 34 सालों से चल रही इस सुनवाई में कुल 78 अभियुक्त शामिल थे। इनमें से 27 अभियुक्तों की तो सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो चुकी है। कोर्ट ने आज 36 अभियुक्तों को धारा 147 (बलवा), 148 (घातक हथियार से बलवा), 149 (गैरकानूनी जमावड़ा), और 310 (ठगी) में दोषी पाया है। वहीं, 16 अभियुक्तों को बरी कर दिया गया है। मामले में अब तक 35 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
इस फैसले पर वादी अधिवक्ता शमशेर सिंह ने संतोष व्यक्त किया है। वहीं, कुछ आरोपी के बेटे, जिनके परिजन बरी हुए हैं, उन्होंने भी राहत की सांस ली है। इस फैसले के बाद पनवारी कांड एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है, जो दशकों से न्याय की राह देख रहा था।