आगरा: डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, भारतेंदु नाट्य अकादमी (लखनऊ) और रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान (आगरा) के संयुक्त प्रयास से आज सूरसदन प्रेक्षागृह में एक ऐतिहासिक क्षण साकार हुआ. पुण्यश्लोका राजमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर, उनके जीवन पर आधारित नाटक ‘जनकल्याणी राजमाता अहिल्याबाई होलकर’ का भव्य मंचन किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी ने इस प्रस्तुति को प्रेरणादायक बताते हुए समाज के लिए एक मूल्यपरक विरासत करार दिया. उन्होंने अहिल्याबाई के आदर्शों को आज के समय में भी प्रासंगिक बताया.
न्याय, समरसता और जनसेवा का जीवंत चित्रण
नाटक के मंचन में राजमाता अहिल्याबाई के जीवन से जुड़ी वो तमाम छवियां जीवंत हो उठीं, जिनमें उनकी न्यायप्रियता, धार्मिक समरसता, सृजनशीलता और जनसेवा का अटूट भाव स्पष्ट रूप से दिखाई दिया. सभागार में उपस्थित दर्शकों ने अहिल्याबाई के त्याग, संघर्ष और न्याय को मंच पर दर्शाते ही तालियों की गड़गड़ाहट से पूरे हॉल को भर दिया. यह प्रस्तुति दर्शकों को इतिहास की गहराइयों से जोड़ने के साथ-साथ आधुनिक समाज के लिए मूल्य आधारित सोच की प्रेरणा भी दे गई.
विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ के अध्यक्ष डॉ. रति शंकर त्रिपाठी और निदेशक श्री बिपिन कुमार की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया.
इस साहित्यिक-सांस्कृतिक प्रस्तुति की लेखिका पिंकी सिंह हैं, जिनका यह दूसरा ऐतिहासिक नाटक है. निर्देशन की बागडोर रोहित चौहान ने संभाली, जिन्होंने अपनी रचनात्मक दृष्टि और अभिनय-कौशल से प्रस्तुति को एक नई ऊंचाई दी. सहनिर्देशन में दिव्यता उपाध्याय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
प्रशासनिक हस्तियों की मौजूदगी
इस विशेष मौके पर संस्कृति विभाग के निदेशक विशाल सिंह, विशेष सचिव संजय कुमार सिंह, जिलाधिकारी आगरा अरविंद मलप्पा बंगारी और आईएएस मुकेश कुमार मेघवाल सहित कई प्रशासनिक हस्तियां भी मौजूद रहीं, जिन्होंने इस सांस्कृतिक कार्यक्रम की सराहना की.
कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने सभी सुधी दर्शकों और गणमान्य अतिथियों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया. इस नाट्य मंचन ने राजमाता अहिल्याबाई होलकर के अतुलनीय योगदान को एक बार फिर जनमानस के सामने जीवंत कर दिया.