Advertisement

Advertisements

अयोध्या में रामराज की पुनः वापसी: राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न, ‘टाट से सिंहासन तक’ का गौरव लौटा

BRAJESH KUMAR GAUTAM
5 Min Read
अयोध्या में रामराज की पुनः वापसी: राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न, 'टाट से सिंहासन तक' का गौरव लौटा

अयोध्या: धर्मनगरी अयोध्या ने एक बार फिर ऐतिहासिक क्षणों को आत्मसात किया है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार की भव्य और दिव्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा 5 जून को संपन्न हो गई। यह आयोजन ‘टाट से सिंहासन तक’ के उस संकल्प का प्रतीक बन गया है, जिसे करोड़ों रामभक्तों ने वर्षों से सँजो रखा था।

दुर्लभ संगमरमर से तराशी गईं अद्वितीय मूर्तियाँ

राम दरबार में स्थापित ये मूर्तियाँ कोई साधारण कलाकृति नहीं हैं। इन्हें 40 साल पुराने संगमरमर के दुर्लभ पत्थरों से तैयार किया गया है, जो अब मिलना भी मुश्किल हो गया है। इन अद्वितीय मूर्तियों को मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने अपनी अटूट तपस्या और भक्ति से गढ़ा है।

अद्भुत कलाकृति के पीछे मूर्तिकार की गहन साधना

मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने बताया कि मूर्तियों को तराशने से पहले वह हर दिन दो घंटे प्रभु श्रीराम की परिक्रमा करते थे और हनुमान चालीसा का पाठ करते थे। यह दिनचर्या पूरे आठ महीनों तक चली — दो घंटे पूजा और दस घंटे शिल्प कार्य। पांडेय जी ने बताया, “मेरा उद्देश्य केवल मूर्ति बनाना नहीं था, मैं चाहता था कि मेरी श्वासों में भी राम का नाम गूंजे।” उन्होंने कहा कि हर एक रेखा में उन्होंने राम नाम को ही उकेरा है, उनके लिए ये पत्थर नहीं, प्रभु राम के स्वरूप हैं।

See also  UP: हिंदुत्व का चोला ओढ़कर वसूली करने वाले गैंग का पर्दाफाश, अखिल भारत हिंदू महासभा के संजय जाट समेत 9 पर गैंगस्टर

सात फुट का भव्य राम दरबार

सत्यनारायण पांडेय ने बताया कि राम दरबार की मूर्तियां सिंहासन सहित कुल सात फुट ऊंची हैं। इसमें हनुमान और भरत की मूर्तियां बैठी मुद्रा में हैं, जिनकी ऊंचाई ढाई फीट है, जबकि लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्तियां खड़ी मुद्रा में तीन-तीन फीट ऊंची हैं।

कला, भक्ति और विज्ञान का अनूठा संगम

इन मूर्तियों के निर्माण में केवल सौंदर्य ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक पहलुओं का भी विशेष ध्यान रखा गया। पत्थर की गुणवत्ता, मौसम की मार, नमी, घर्षण और तापमान सहन करने की क्षमता जैसे पहलुओं की विभिन्न प्रयोगशालाओं में जांच की गई और विशेषज्ञों की हरी झंडी मिलने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू हुआ। यह राम दरबार की मूर्तियाँ केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि विज्ञान, अध्यात्म और संस्कृति के समागम का अद्भुत उदाहरण हैं।

See also  आगरा पुलिस की दबंगई: रायता न मिलने पर यात्रियों से मारपीट, वीडियो वायरल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया ‘नेत्रोन्मीलन’, रामराज की वापसी का प्रतीक

प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने राम दरबार की मूर्ति से आवरण हटाए और ‘नेत्रोन्मीलन’ की पवित्र प्रक्रिया पूर्ण की। इससे एक दिन पहले, 4 जून को, देश की 21 पवित्र नदियों के जल से भगवान श्रीराम का अभिषेक भी किया गया।

सरयू महोत्सव के आयोजक और आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष शशिकांत दास ने भावुक होकर कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वह कार्य किया है जो युगों-युगों तक याद किया जाएगा। उन्होंने प्रभु राम को टाट के पटरे से निकालकर भव्य सिंहासन पर विराजमान कराया है।” उन्होंने आगे कहा कि यह ठीक वैसा ही है जैसे त्रेतायुग में वशिष्ठ जी ने राम का राजतिलक किया था, और 5 जून को योगी महाराज ने प्रभु राम को फिर से प्रतिष्ठित किया।

See also  मोहम्मद साहब की शान में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले पर कार्यवाही की मांग

अयोध्या बनी आस्था की राजधानी

राम मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या एक बार फिर रामराज की ओर लौट रही है। प्राण प्रतिष्ठा का यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक पुनर्जागरण का प्रतीक है। जब सिंहासन पर राम दरबार विराजमान हुआ, तो न केवल मंदिर का प्रथम तल, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं के हृदय भी उल्लास से भर गए। यह कहा जा सकता है कि राम दरबार की इन मूर्तियों ने केवल संगमरमर को ही नहीं, बल्कि युगों की आस्था को भी आकार दिया है। यह न केवल मूर्तिकार की तपस्या है, बल्कि समस्त सनातन समाज की श्रद्धा और संकल्प का मूर्त रूप है।

Advertisements

See also  मोहम्मद साहब की शान में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले पर कार्यवाही की मांग
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement