झांसी में अवैध बालू खनन का गोरखधंधा जारी: एनजीटी के नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां, खनिज विभाग पर सवाल

Dharmender Singh Malik
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झांसी, सुल्तान आब्दी: बुंदेलखंड के झांसी जिले में अवैध बालू खनन का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला टहरौली तहसील के शमशेरपुरा गांव से सामने आया है, जहां एक अवैध बालू घाट धड़ल्ले से संचालित हो रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह अवैध खनन खनिज विभाग द्वारा टेहरका में स्वीकृत एक वैध बालू घाट की आड़ में किया जा रहा है, जिसकी वैधता पिछली 6 तारीख को ही समाप्त हो चुकी है। इस गंभीर मामले ने एक बार फिर खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

टेहरका की आड़ में शमशेरपुरा से अवैध खनन

स्थानीय संवाददाता सुल्तान आब्दी की रिपोर्ट के अनुसार, खनिज विभाग ने टेहरका गांव में एक बालू घाट के लिए स्वीकृति प्रदान की थी। लेकिन, घाट संचालकों ने नियमों को ताक पर रखकर, स्वीकृत क्षेत्र के बजाय शमशेरपुरा से बड़े पैमाने पर बालू का अवैध उठान शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि इस स्वीकृत घाट की अवधि से चल रही थी, लेकिन 6 जून को इसकी वैधता समाप्त हो गई। इसके बावजूद, शमशेरपुरा में अवैध खनन का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

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एनजीटी के नियमों का खुला उल्लंघन

सबसे गंभीर बात यह है कि इस अवैध खनन में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा प्रतिबंधित लिफ्टरों और पोकलैंड मशीनों का खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। ये भारी मशीनें नदियों और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। नियमों के मुताबिक, ऐसे उपकरण खनन के लिए इस्तेमाल नहीं किए जा सकते, खासकर जब मामला अवैध खनन का हो। एनजीटी के सख्त निर्देशों के बावजूद, झांसी में इन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

खनिज विभाग की भूमिका पर सवाल

यह पूरा घटनाक्रम खनिज विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जिस स्वीकृत घाट की आड़ में अवैध खनन चल रहा था, उसकी अवधि समाप्त होने के बावजूद विभाग द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या खनिज विभाग को इस अवैध गतिविधि की जानकारी नहीं थी, या जानबूझकर इस पर आंखें मूंदी गईं? इन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि खनिज विभाग की मिलीभगत के बिना इतनी बड़े पैमाने पर अवैध खनन संभव नहीं है।

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पर्यावरण को गंभीर खतरा

अवैध बालू खनन से पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा होता है। इससे नदियों का जलस्तर घटता है, भूजल स्तर प्रभावित होता है, और नदी के किनारे कटाव का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, जलीय जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रतिबंधित मशीनों का उपयोग स्थिति को और भी बदतर बना देता है।
आगे की राह

इस मामले में तत्काल प्रभाव से सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। खनिज विभाग को तुरंत अवैध खनन रोककर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। प्रशासन को अवैध खनन के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाकर इस गोरखधंधे को पूरी तरह से खत्म करना होगा।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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