लोक दायित्व सामाजिक संगठन की ‘रघु भूमि से तपोभूमि’ यात्रा: श्रीराम के पवित्र स्थलों का भ्रमण, ताड़का वध से लेकर रामेश्वरनाथ मंदिर तक

Dharmender Singh Malik
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लोक दायित्व सामाजिक संगठन की 'रघु भूमि से तपोभूमि' यात्रा: श्रीराम के पवित्र स्थलों का भ्रमण, ताड़का वध से लेकर रामेश्वरनाथ मंदिर तक

लोक दायित्व सामाजिक संगठन की “रघु भूमि से तपोभूमि की यात्रा” के तीसरे दिन की शुरुआत कारों धाम से हुई। प्रातः 8:00 बजे भगवान शिव, श्रीराम, लक्ष्मण और विश्वामित्र जी के पूजन के साथ यात्रा का शुभारंभ किया गया।

ऐतिहासिक पड़ाव और लोक मान्यताएं

सुबाहु टीला

यात्रा सुबाहु टीला (चितबड़ागांव के पास सुजायत) पहुंची। स्थानीय लोग आज भी इस टीले को हाथ नहीं लगाते, क्योंकि कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि यहीं पर राक्षस सुबाहु का निवास था। क्षेत्र में एक कहावत प्रसिद्ध है: “भोर भरौली भा उजियारा, बक्सर जाय ताड़का मारा।” इसका अर्थ है कि जब प्रभु श्रीराम कारों धाम से प्रातःकाल निकले तो भरौली में भोर हुई और उजियारघाट पर उजाला हुआ।

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गंगा पूजन और ताड़का वध का स्थल

कारों धाम शिव

 

आधा जला आम का वृक्ष

उजियार घाट पर श्रीराम, लक्ष्मण और ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने मां गंगा का पूजन किया। यहीं पर ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को गंगा अवतरण और भगीरथ तपस्या की कथा सुनाई। उजियार घाट से गंगा पार कर टीम चरित्र वन (वर्तमान में बक्सर – बिहार) पहुंची, जिसे ताड़का वन भी कहा जाता है। यहीं पर प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन का प्रथम युद्ध करते हुए ताड़का का वध किया था, जिसने डेढ़ योजन का मार्ग घेर रखा था। यहीं से उनके वीर चरित्र का उद्भव माना जाता है।

आत्मग्लानि और रामेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना

ताड़का वध के बाद प्रभु श्रीराम ने यहीं गंगा जी में स्नान किया, जिसे आज राम रेखा घाट के नाम से जाना जाता है। ताड़का वध के कारण भगवान राम के मन में आत्मग्लानि हुई, क्योंकि सूर्यवंशी किसी भी राजा ने इससे पूर्व किसी महिला पर हाथ नहीं उठाया था। इस आत्मग्लानि से मुक्त होने के लिए प्रभु श्रीराम ने विश्वामित्र के आश्रम के सामने ही शिवलिंग की स्थापना कर पूजन अर्चन किया, जो आज रामेश्वरनाथ के नाम से प्रसिद्ध मंदिर है। यहां सिंहासनारूढ़ होने के पश्चात् भी श्रीराम ने पुनः आकर यज्ञ किया था। रामेश्वरनाथ के ठीक सामने ब्रह्मर्षि विश्वामित्र का आश्रम सिद्धाश्रम स्थित है। यह पूरा क्षेत्र ही तपोवन के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में आस-पास आबादी अधिक बस जाने के कारण उसे चिन्हित कर पाना थोड़ा कठिन है।

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यात्रा का समापन और आभार व्यक्त

इन पवित्र स्थानों का भ्रमण और दर्शन करने के बाद लोक दायित्व की टीम बसांव मठ पहुंची, जहां कढ़ी-चावल के प्रसाद के साथ यात्रा का समापन हुआ। ऐसी मान्यता है कि यहीं पर राम और लक्ष्मण जी ने कढ़ी खाई थी।

इस यात्रा में विभिन्न जगहों पर स्थानीय लोगों द्वारा राम, लक्ष्मण, विश्वामित्र की शोभा यात्रा की आरती, भजन-कीर्तन के साथ सभी भक्तों को अंगवस्त्र देकर स्वागत किया गया। संगठन के पदाधिकारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दुर्गा प्रसाद अस्थाना, संयोजक पवन कुमार, और प्रदेश कार्यकारिणी समिति सदस्य अरविंद कुमार सिंह ने इस “रघु भूमि से तपोभूमि की यात्रा” में पड़ने वाले स्थानों के सभी जनमानस और पुलिस विभाग का धन्यवाद दिया, जिन्होंने यात्रा में अपना सहयोग व सुरक्षा प्रदान की। उन सभी के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया गया।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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