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पैतृक प्रॉपर्टी बेचने से पहले जान लें ये कानून – वरना हो सकती है FIR!

BRAJESH KUMAR GAUTAM
7 Min Read
पैतृक प्रॉपर्टी बेचने से पहले जान लें ये कानून – वरना हो सकती है FIR!

Ancestral Property Rights: भारत में ज़मीन-जायदाद के मामले हमेशा संवेदनशील रहे हैं, खासकर जब बात आती है पैतृक संपत्ति की। बहुत से लोग मान लेते हैं कि जो ज़मीन या मकान उनके नाम पर है, उसे वे जैसे चाहें बेच सकते हैं, लेकिन जब बात पैतृक संपत्ति की होती है, तो मामला सिर्फ आपके अकेले के अधिकार का नहीं होता। कानून के अनुसार, यह संपत्ति आपकी नहीं, बल्कि आपके पूरे परिवार की होती है, और इसे बेचने के लिए कुछ बेहद ज़रूरी शर्तें होती हैं।

अगर आप इन शर्तों को नज़रअंदाज़ कर पैतृक संपत्ति बेच देते हैं, तो आपको कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं और संपत्ति की बिक्री रद्द भी हो सकती है। इसलिए आइए इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।

पैतृक संपत्ति होती क्या है?

सबसे पहले तो यह जानना ज़रूरी है कि पैतृक संपत्ति किसे कहते हैं। वह ज़मीन या मकान जो आपको आपके पिता, दादा, परदादा या उनके पूर्वजों से बिना किसी वसीयत के मिली हो, उसे पैतृक संपत्ति कहा जाता है।

इसका मतलब है कि अगर आपके दादा के नाम कोई ज़मीन थी, जो उन्होंने आपके पिता को बिना वसीयत के दी, और अब वह आपके पास आ गई है – तो वह ज़मीन सिर्फ आपकी नहीं, बल्कि आपके साथ-साथ आपके भाई-बहनों की, माता जी की और अन्य वैध उत्तराधिकारियों की भी है।

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क्या कोई अकेले पैतृक संपत्ति बेच सकता है?

बिल्कुल नहीं।

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में साफ़ कहा गया है कि पैतृक संपत्ति पर सभी कानूनी वारिसों का समान हक़ होता है। इसका मतलब यह है कि अगर आप घर बेचने की सोच रहे हैं, तो आपको अपने सभी हिस्सेदारों – चाहे वो बेटा हो, बेटी, पत्नी या मृत बेटे की संतान – की लिखित सहमति लेनी होगी।

किन-किन की सहमति लेना ज़रूरी होता है?

यह जानना महत्वपूर्ण है कि पैतृक संपत्ति बेचने के लिए किस-किस की सहमति अनिवार्य है:

उत्तराधिकारी अधिकार स्थिति
बेटा समान हकदार
बेटी (2005 के बाद से) बराबरी का हकदार
पत्नी वैध उत्तराधिकारी
मृत बेटे की संतान उत्तराधिकारी

यानी, अगर आप सोचते हैं कि बेटे से पूछ लिया, बस काफी है, तो ऐसा नहीं है। बेटी की सहमति भी उतनी ही ज़रूरी है जितनी बेटे की। Ancestral Property Rights के तहत सभी सह-वारिसों की सहमति आवश्यक है।

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बिना सहमति संपत्ति बेचने पर क्या होता है?

अगर आपने सभी वारिसों की इजाज़त के बिना संपत्ति बेच दी, तो क्या होगा? तो ज़रा ध्यान दें:

  • बिक्री रद्द हो सकती है: कोई भी वंचित उत्तराधिकारी कोर्ट में जाकर सेल डीड (Sale Deed) को चैलेंज कर सकता है, जिससे बिक्री रद्द हो सकती है।
  • सिविल केस/Partition Suit: यदि किसी वारिस को उसका हक़ नहीं मिला है, तो वह कोर्ट में Partition Suit (बंटवारे का मुक़दमा) फाइल कर सकता है।
  • फ्रॉड का केस: जानबूझकर किसी वारिस को जानकारी न देने या कागज़ों में उसका नाम न दिखाने पर धोखाधड़ी का केस भी बन सकता है।
  • क्रेता को भी नुकसान: जिसने संपत्ति खरीदी है, वह भी फंस सकता है क्योंकि केस चलने पर उसकी खरीदी हुई ज़मीन विवादित हो जाएगी।
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पैतृक संपत्ति बेचने की सही और वैध प्रक्रिया क्या है?

अगर आप कानूनी पचड़ों से बचना चाहते हैं, तो इन स्टेप्स को फॉलो करें:

  1. सभी वारिसों की पहचान करें: पिता, माता, भाई, बहन, पत्नी, बच्चे – सबकी सूची बनाएं।
  2. Legal Heir Certificate बनवाएं: जिससे साबित हो कि कौन-कौन वारिस हैं।
  3. NOC लें: सभी से लिखित ‘No Objection Certificate’ (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लें।
  4. संपत्ति का रजिस्टर्ड बंटवारा करें: Family Settlement Deed (पारिवारिक समझौता विलेख) बनवाएं, ताकि किसका कितना हिस्सा है, यह साफ़ हो जाए।
  5. रजिस्टर्ड सेल डीड करें: रजिस्ट्री करवाते समय सभी हिस्सेदारों को शामिल करें।

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ज़रूरी दस्तावेज़ क्या-क्या लगेंगे?

पैतृक संपत्ति की बिक्री के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की ज़रूरत होगी:

  • संपत्ति की Registry, Mutation या Khatauni
  • Legal Heir Certificate या Family Register
  • सभी वारिसों का ID प्रूफ
  • सभी से NOC
  • Encumbrance Certificate (जिससे यह साबित हो कि ज़मीन पर कोई कर्ज नहीं है)
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क्या संपत्ति समझौते से बांटी जा सकती है?

हाँ।

अगर सभी वारिस आपस में बैठकर समझौता कर लें और अपने-अपने हिस्से तय कर लें, तो इसे रजिस्टर्ड करवाकर Registered Family Settlement बनाया जा सकता है। फिर हर व्यक्ति अपने हिस्से को स्वतंत्र रूप से बेच सकता है।

अगर आप पैतृक संपत्ति बेचने का सोच रहे हैं, तो सबसे ज़रूरी बात है – सभी कानूनी वारिसों की सहमति लेना। बिना इस कदम के आप न सिर्फ केस में फंस सकते हैं, बल्कि आपके ऊपर फ्रॉड का आरोप भी लग सकता है और संपत्ति की बिक्री रद्द भी हो सकती है।

इसलिए, कोई भी लेन-देन करने से पहले कानूनी सलाह ज़रूर लें, सारे दस्तावेज़ और प्रमाण पत्र तैयार रखें, और हर कदम सावधानी से उठाएं। आखिरकार, एक छोटी सी गलती आपके पूरे परिवार को मुसीबत में डाल सकती है।

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