झाँसी, उत्तर प्रदेश, सुल्तान आब्दी: पहुज नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर आज राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), दिल्ली में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। शिकायतकर्ता भानू सहाय, जो बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं, ने सुनवाई के दौरान संबंधित विभागीय संयुक्त कमेटी की रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए।
कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल और अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
भानू सहाय ने बताया कि एनजीटी ने अप्रैल में संबंधित विभागीय संयुक्त कमेटी को यह आदेश दिया था कि वे पहुज नदी में गिरने वाले सभी छोटे-बड़े नालों की संख्या बताएं, जो बिना स्वच्छ किए पानी नदी में डाल रहे हैं। साथ ही, गाद, मलबा और जलकुंभी हटाने के लिए अपनाई जा रही समयबद्ध व्यवस्था की जानकारी भी देने को कहा गया था।
हालांकि, भानू सहाय के अनुसार, कमेटी ने इन निर्देशों को दरकिनार करते हुए एनजीटी में दाखिल अपनी रिपोर्ट के पैरा नंबर चार में मात्र 15 नालों को एसटीपी से जोड़ने और केवल दो बड़े नालों से सीधे अनुपचारित पानी नदी में जाने की बात कही है। शिकायतकर्ता का दावा है कि पहुज नदी में लगभग एक सैकड़ा नाले और नालियां गंदा पानी डाल रहे हैं, जिनमें से कई तो स्वयं नगर निगम द्वारा सरकारी धन से सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की गाइडलाइन के विरुद्ध बनाए गए हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों का सीधा उल्लंघन बताते हुए उन्होंने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की मांग की है। भानू सहाय ने कमेटी पर इन अधिकारियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया।
पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का बोझ जनता पर?
इस प्रकरण में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने झांसी नगर निगम के विरुद्ध 16 करोड़ 10 लाख रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित किए जाने के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह धनराशि 15 दिनों के भीतर जमा करने को कहा गया है। इस पर भानू सहाय ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह जुर्माना दोषी अधिकारियों पर लगाने के बजाय विभाग यानी जनता पर थोप दिया गया है, जबकि इसे दोषी अधिकारियों से वसूला जाना चाहिए।
झांसी विकास प्राधिकरण ने भी अपने जवाब में गोलमोल बातें कहकर अपने दायित्व से बचने का प्रयास किया है, जिसे भानू सहाय ने अस्वीकार्य बताया है। उनका आरोप है कि कमेटी ने पहुज नदी के बड़े हिस्से पर जमा कई फीट गहरी गाद, मलबा, जलकुंभी और बदबूदार दूषित पानी की सच्चाई को छुपाया है।
अगली सुनवाई पर पेश होंगे समस्त दस्तावेज
भानू सहाय ने यह भी अवगत कराया कि एनजीटी ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था, लेकिन कमेटी के अधिकारियों ने जानबूझकर सुनवाई से एक-दो दिन पहले ही रिपोर्ट भेजी, जिससे कार्यवाही बाधित हुई। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि अधिकारियों की इस लापरवाही के कारण प्रदूषित पानी पीकर बीमार हो रही जनता की पीड़ा और अधिकारियों की चालबाजी, साजिश के समस्त दस्तावेजों और तथ्यों को अगली सुनवाई पर एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
