फोन पर ग्रामीण से कहा था – पानी की निकासी कराना हमारा काम नहीं, डीपीआरओ और वीडीओ से मिलिए
कचौरा-अछनेरा सड़क पर पुलिया बंद होने से हालात विकराल, जनता परेशान, प्रशासन मौन,एक दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा
आगरा। जनपद के अछनेरा ब्लॉक स्थित गांव कचौरा में जलभराव की भयावह स्थिति को लेकर जब ग्रामीण ने उपजिलाधिकारी से फोन पर मदद की गुहार लगाई, तो उन्हें निराशा हाथ लगी। संवेदनशील मानी जाने वाली जिम्मेदारी पर तैनात एसडीएम किरावली नीलम तिवारी ने समस्या से पल्ला झाड़ते हुए कहा– “यह हमारा काम नहीं है, डीपीआरओ और बीडीओ से संपर्क करें।”जबकि प्रधान मंत्री सड़क योजना की तहत 2022-2023 में करोड़ों की लागत बनी सड़क जलमग्न पड़ी है।
बाद में इस विषय पर अपना पक्ष रखते हुए एसडीएम किरावली ने बताया कि जलभराव का स्वमं मैने निरीक्षण किया,डीपीआरओ और वीडीओ को समस्या समाधान के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आगरा से भी मिलकर अवगत कराया गया है। साथ ही जल निकासी रोकने वाली बंद पुलिया को खुलवाने हेतु एसीपी को पत्र लिखा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिया खुलवाना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।गौरतलब है कि बीते वर्ष जलभराव की स्थित देखते हुए तत्कालीन तहसीलदार ने बंद की गई पुलिया को खुलवाया था।
बताया जाता है कि कचौरा-अछनेरा मुख्य मार्ग पर जलभराव की समस्या मई-जून माह से ही बनी हुई है। कचौरा पंचायत भवन के समीप बनी पुलिया को कुछ दबंगों द्वारा बंद कर दिया गया, जिससे दर्जनों गांवों की मुख्य सड़क पर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। पिछले वर्ष एच.एल. चौधरी द्वारा पुलिस बल के साथ इस पुलिया को खुलवाया गया था, परंतु वह दोबारा बंद कर दी गई।ग्रामीणों व ग्राम प्रधान ने इस संबंध में एसडीएम किरावली को दर्जनों बार शिकायत पत्र दिए, लेकिन न तो पुलिया खुलवाई गई और न ही कोई स्थाई समाधान निकाला गया। कार्यवाही केवल आदेशों तक सीमित रह गई। वर्तमान में बरसात के चलते हालात विकराल हो चुके हैं। सड़क पर पानी भरा होने से राहगीरों, बाइक सवारों व छात्रों को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। अछनेरा-कचौरा मार्ग पूरी तरह से जलमग्न होकर नरक में तब्दील हो चुका है।
अधिकारी एक-दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा
गांव के सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्राम प्रधान ने लगातार एसडीएम को समस्या से अवगत कराया। बावजूद इसके निरीक्षण तो हुआ, लेकिन कोई कार्रवाई आदेशों तक सीमित रह गई। जब एक ग्रामीण ने फोन पर दोबारा समस्या उठाई, तो उन्हें उल्टा जवाब मिला और एसडीएम ने जिम्मेदारी से साफ इनकार कर दिया। प्रशासनिक उदासीनता के कारण दर्जनों गांवों की यह गंभीर समस्या उपेक्षित बनी हुई है।एसडीएम का कहना है कि एसीपी को पुलिया खुलवाने के लिए पत्र लिखा गया है, जबकि डीपीआरओ और वीडीओ को निर्देशित किया गया है। वहीं डीपीआरओ का कहना है कि ट्रैक्टर से जल निकासी की अयस्थाई व्यवस्था की जा रही है, लेकिन स्थाई समाधान संभव नहीं हुआ है , जबकि लेखपाल को ग्राम समाज की खोई हुई जमीन को चिन्हित करने को नहीं मिल रही, जो कि पुलिया के पानी निकासी के पास जमीन कोई निजी बता रहा तो कोई नक्शे के हिसाब ग्राम समाज की जमीन होने का दावा कर रहा है।लेकिन जिम्मेदारी कार्यवाही से पल्ला झाड़ रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
ग्राम प्रधान सहित स्थानीय लोगों में प्रशासन की चुप्पी को लेकर गहरा आक्रोश है। ग्राम प्रधान कुमर जी ने बताया कि पिछले वर्ष प्रशासनिक हस्तक्षेप से जो पुलिया खुलवाई गई थी, उसे फिर से बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब जलस्तर इतना बढ़ गया है कि ट्रैक्टर से भी जल निकासी संभव नहीं रही। सड़क और खेत एक स्तर पर आ चुके हैं।
जनता पूछ रही है– अगर एसडीएम समाधान नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?
यह सवाल अब आमजन के बीच चर्चा का विषय बन गया है कि जब तहसील का सर्वोच्च अधिकारी ही जिम्मेदारी से मुंह मोड़ ले, तो फिर जनता किससे उम्मीद करे? प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता ने न सिर्फ सरकारी व्यवस्था की पोल खोल दी है, बल्कि ग्रामीणों को नरकीय जीवन जीने को मजबूर कर दिया है।