अग्र भारत समाचार की जनपक्षधर पत्रकारिता ने फिर साबित की अपनी भूमिका
अंबेडकर नगर|जनपक्षधर पत्रकारिता के दम पर सत्ता, तंत्र और भ्रष्टाचार के गठजोड़ को उजागर करना सदैव चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन अग्र भारत समाचार ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि जब पत्रकारिता जनहित के लिए प्रतिबद्ध हो, तो कोई भी ताकत जनता की आवाज को दबा नहीं सकती।
जिले के विद्युत विभाग में विगत कई वर्षों से चल रहे भ्रष्टाचार, पटल कब्जा नीति, और संविदा कर्मियों की छंटनी में की जा रही अनियमितताओं को लेकर अग्र भारत द्वारा लगातार सात दिनों तक एक विशेष संपादकीय श्रृंखला चलाई गई थी। इसी रिपोर्टिंग के चलते विभाग हरकत में आया और एमडी मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी किए।
बाबू नहीं, अब बड़े अफसर भी कटघरे में
मामले में पहले ही दो बाबू—अजीम अहमद और अशोक शर्मा पर कार्रवाई हो चुकी थी। इन दोनों को जांच के बाद पद से हटाकर अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन जिस सबसे बड़ी कड़ी की ओर इशारा किया गया था, वह थे अधीक्षण अभियंता अंबेडकर नगर, जिनपर न केवल भ्रष्टाचार की अनदेखी करने बल्कि सीधे संरक्षण देने के गंभीर आरोप थे।
लगभग एक महीने तक चली जांच के बाद अब अधीक्षण अभियंता पर भी विभागीय कार्रवाई तय हो गई है, जो यह दर्शाता है कि योगी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति महज़ एक नारा नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई में बदल चुकी है।
जॉन मथाई को मिली थी जांच की कमान, एक सप्ताह में किया था बड़ा फैसला
दिनांक 24 जून को जब एमडी मध्यांचल ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का जिम्मा निदेशक जॉन मथाई को सौंपा, तो उन्होंने पत्रकारिता के आधार पर प्रस्तुत तथ्यों को प्राथमिकता दी। महज एक सप्ताह के भीतर उन्होंने विभागीय पटल पर जमे दोनों बाबुओं को उनके पदों से हटा दिया। इसके बाद एक महीना बीतते-बीतते अधीक्षण अभियंता पर भी कार्रवाई की गाज गिरी। यह दर्शाता है कि सरकार अब भ्रष्टाचार की जड़ों को सिर्फ काटने नहीं, बल्कि उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है।
संविदा कर्मियों को मिला न्याय की ओर पहला कदम
जिन संविदा कर्मियों को महज इस वजह से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया क्योंकि उन्होंने भ्रष्ट अफसरों को “चढ़ावा” देना स्वीकार नहीं किया—उनकी पीड़ा अब सार्वजनिक हो चुकी है। इन कर्मियों ने बताया कि वे योग्यता, अनुभव और सेवा रिकॉर्ड के आधार पर सेवा में बने रहने के प्रबल पात्र थे, लेकिन जब उन्होंने बाबू अजीम अहमद की “भेंट परंपरा” को नकारा, तो उन्हें बाहर कर दिया गया। अब जब जाँच के बाद बड़े अफसरों तक पर कार्रवाई होने लगी है, तो इन कर्मचारियों में पुनः नियुक्ति की उम्मीद जागी है। उन्होंने अग्र भारत समाचार का आभार जताते हुए कहा, “यह समाचार पत्र वाकई गरीबों, वंचितों, शोषितों और मजलूमों की आवाज है। जो काम हमारी फरियाद नहीं कर सकी, वो एक साहसी कलम ने कर दिखाया।”
स्पष्ट संदेश: भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार सख्त
इस मामले से एक बात स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आई है—सरकार अब किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी। चाहे वह अधिकारी कितना भी ऊँचे पद पर क्यों न बैठा हो, कार्रवाई निश्चित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन’ की नीति को धरातल पर उतारने में एमडी मध्यांचल की यह कार्रवाई मील का पत्थर साबित हो सकती है। इससे पूरे विद्युत विभाग को यह स्पष्ट संदेश गया है कि अब ढिलाई, भाई-भतीजावाद और धन उगाही की नीति नहीं चलेगी।
काली भेड़ों की तलाश अभी जारी…
हालांकि यह कार्रवाई बड़ी मानी जा रही है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, विद्युत विभाग में अभी भी कुछ ऐसे अधिकारी व कर्मचारी सक्रिय हैं, जो शासन की मंशा के विपरीत कार्य कर रहे हैं। यह कार्रवाई उनके लिए चेतावनी है कि यदि उन्होंने समय रहते अपनी कार्यशैली नहीं बदली, तो अगली कलम उन्हीं पर चलेगी।
अंततः… पत्रकारिता की जीत, जनता की उम्मीद
इस संपूर्ण प्रकरण ने यह दिखा दिया कि जब पत्रकारिता ईमानदारी और निर्भीकता के साथ की जाती है, तो उसका प्रभाव केवल खबर तक सीमित नहीं रहता, वह व्यवस्था को झकझोर सकता है। अग्र भारत समाचार ने यह साबित कर दिया है कि मीडिया यदि चाहे तो वह सिर्फ खबर नहीं, परिवर्तन का वाहक बन सकता है।