जेनरिक दवाईयां: क्या हैं, क्यों हैं फायदेमंद और कैसे करें पहचान?

Dharmender Singh Malik
4 Min Read
जेनरिक दवाईयां: क्या हैं, क्यों हैं फायदेमंद और कैसे करें पहचान?

आगरा: क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही बीमारी के लिए दो अलग-अलग दवाएं अलग-अलग कीमतों पर क्यों मिलती हैं? एक दवा बहुत महंगी होती है, जबकि दूसरी काफी सस्ती? अगर हाँ, तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अक्सर यह महंगी और सस्ती दवाएं एक ही होती हैं, सिर्फ उनका नाम और पैकेजिंग अलग होती है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं जेनरिक (Generic) और ब्रांडेड (Branded) दवाओं की।

क्या हैं जेनरिक दवाईयां?

जेनरिक दवाईयां असल में ब्रांडेड दवाओं का ही सस्ता विकल्प हैं। जब कोई दवा कंपनी एक नई दवा बनाती है, तो उसे बनाने में बहुत पैसा खर्च होता है। रिसर्च, डेवलपमेंट, क्लिनिकल ट्रायल और मार्केटिंग पर भारी लागत आती है। इस लागत को वसूलने के लिए कंपनी को एक निश्चित समय (आमतौर पर 20 साल) के लिए उस दवा का पेटेंट मिलता है, जिससे उस दौरान केवल वही कंपनी उस फार्मूले का इस्तेमाल कर सकती है।

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जब यह पेटेंट अवधि समाप्त हो जाती है, तो अन्य दवा कंपनियां भी उसी फार्मूले और सॉल्ट (Salt) का इस्तेमाल करके दवा बना सकती हैं। इन दवाओं को ही जेनरिक दवाएं कहा जाता है। इनमें वही एक्टिव इंग्रीडिएंट्स (Active Ingredients) होते हैं जो ब्रांडेड दवा में होते हैं, इसलिए इनका असर और सुरक्षा भी बिल्कुल समान होती है।

जेनरिक दवाएं इतनी सस्ती क्यों होती हैं?

जेनरिक दवाओं के सस्ते होने के कई कारण हैं:

कोई रिसर्च और डेवलपमेंट लागत नहीं:

जेनरिक दवा बनाने वाली कंपनियों को रिसर्च, डेवलपमेंट और क्लिनिकल ट्रायल पर कोई खर्च नहीं करना पड़ता, क्योंकि यह सारा काम मूल निर्माता कंपनी पहले ही कर चुकी होती है।

कोई मार्केटिंग खर्च नहीं:

ब्रांडेड दवाएं अक्सर बड़े पैमाने पर विज्ञापन, प्रमोशन और मार्केटिंग पर खर्च करती हैं। जेनरिक दवाओं की मार्केटिंग बहुत कम होती है, जिससे इनकी कीमत कम रहती है।

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साधारण पैकेजिंग:

ब्रांडेड दवाएं आकर्षक और विशेष पैकेजिंग में आती हैं, जबकि जेनरिक दवाओं की पैकेजिंग साधारण होती है, जिससे लागत और कम हो जाती है।

क्या जेनरिक दवाएं सुरक्षित हैं?

जी हाँ, जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तरह ही सुरक्षित और असरदार होती हैं। भारत में, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) जैसी नियामक संस्थाएं जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। वे इन दवाओं को तभी मंजूरी देती हैं जब वे ब्रांडेड दवाओं के समान ही प्रभावी और सुरक्षित साबित हों।

कैसे पहचानें जेनरिक दवा?

जेनरिक दवा की पहचान करना आसान है। आमतौर पर, जेनरिक दवा पर उसके रासायनिक नाम या सॉल्ट का नाम लिखा होता है, न कि कोई ब्रांड नाम। उदाहरण के लिए, एक बुखार की दवा का ब्रांड नाम ‘क्रोसीन’ हो सकता है, जबकि उसका जेनरिक नाम ‘पैरासिटामोल’ है।

सरकार का प्रोत्साहन

भारत सरकार जेनरिक दवाओं के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, ताकि स्वास्थ्य सेवाएँ आम आदमी के लिए अधिक सुलभ और सस्ती हो सकें। ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना’ (PMBJP) इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके तहत देश भर में जन औषधि केंद्र खोले गए हैं, जहाँ उच्च गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाएं बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं।

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अगली बार जब आप दवा खरीदने जाएं, तो अपने डॉक्टर से जेनरिक दवाओं के बारे में जरूर पूछें। ये दवाएं न सिर्फ आपकी जेब पर बोझ कम करेंगी, बल्कि आपकी सेहत पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं डालेंगी। याद रखें, “सस्ती दवा, समान असर।”

नोट: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श लें। जेनरिक दवाई यदि ब्रैंडिड कंपनी की लें तो ज्यादा बेहतर होगा।

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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