आगरा। खेरागढ़ में विद्युत विभाग की लापरवाही से हुई एक व्यक्ति की मौत के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने बड़ा फैसला सुनाया है। पुलिस द्वारा पेश की गई अंतिम रिपोर्ट (एफ.आर.) को खारिज करते हुए सीजेएम ने पुलिस आयुक्त आगरा को किसी अन्य सक्षम अधिकारी से मामले की दोबारा जांच कराने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2023 का है, जब धर्मवीर नामक व्यक्ति ने अपने पिता की मौत के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाते हुए खेरागढ़ थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि यह मौत बिजली विभाग की लापरवाही के कारण हुई।
जांच के दौरान, पुलिस ने अदालत में अंतिम रिपोर्ट (एफ.आर.) दाखिल कर दी, जिसका मतलब था कि पुलिस को मामले में आगे कोई कार्रवाई योग्य तथ्य नहीं मिला।
वादी ने लगाया आरोप, कोर्ट ने दिया न्याय
इस एफ.आर. के विरोध में, वादी धर्मवीर ने अपने वकील शिशु पाल सिंह सिकरवार के माध्यम से अदालत में आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उनकी और उनकी मां के कोरे कागजों पर हस्ताक्षर लेकर उनका दुरुपयोग किया। वादी का कहना था कि पुलिस ने बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर सुलहनामा (राजीनामा) दिखा दिया और कोई कार्रवाई नहीं की।
वादी के अधिवक्ता की दलीलों को गंभीरता से लेते हुए, सीजेएम ने विवेचक द्वारा प्रस्तुत एफ.आर. को तुरंत निरस्त कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने पुलिस आयुक्त आगरा को निर्देश दिया कि वे इस मुकदमे की अग्रिम विवेचना (दुबारा जांच) किसी दूसरे सक्षम अधिकारी से कराएं, ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।
