मेरठ, उत्तर प्रदेश: शिक्षा को सिर्फ़ कक्षाओं तक सीमित न रखकर उसे एक सामुदायिक गतिविधि बनाने के लिए मेरठ के प्राथमिक विद्यालय रजपुरा ने एक अनूठी पहल की है। इस विद्यालय में एक विशेष लाइब्रेरी स्थापित की गई है, जहाँ बच्चे अपने माता-पिता के साथ बैठकर किताबें पढ़ते हैं। यह नवाचार न सिर्फ़ बच्चों में पढ़ने की आदत को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि अभिभावकों को भी शिक्षा के महत्व से सीधे तौर पर जोड़ रहा है।
इस पहल से बच्चे और अभिभावक दोनों ही उत्साहित हैं। जब माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ते देखते हैं, तो वे गर्व और खुशी महसूस करते हैं। यह माहौल घर पर भी पढ़ाई के लिए एक सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद कर रहा है।
अभिभावक-शिक्षक बैठकें और उपस्थिति में सुधार
विद्यालय में नियमित रूप से अभिभावक-शिक्षक बैठकें (PTM) आयोजित की जाती हैं। इन बैठकों में शिक्षक बच्चों की प्रगति के बारे में माता-पिता से चर्चा करते हैं और उन्हें यह विश्वास दिलाते हैं कि शिक्षा ही उनके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है।
प्रधानाध्यापिका पुष्पा यादव के अनुसार, इन बैठकों ने विद्यालय और अभिभावकों के बीच एक मजबूत रिश्ता बनाया है। इसी का नतीजा है कि विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है।
शिक्षा को सामुदायिक आंदोलन बनाना
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पुष्पा यादव, जिन्हें राज्यपाल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है, कहती हैं कि यह पहल सिर्फ़ शिक्षा तक सीमित नहीं है। यह बच्चों और अभिभावकों के बीच आपसी जुड़ाव और पढ़ाई में सहयोग को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। उनका मानना है कि जब माता-पिता सीधे तौर पर अपने बच्चों की शिक्षा से जुड़ते हैं, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
यह अनूठा नवाचार गाँव के लोगों को शिक्षा के महत्व को और गहराई से समझा रहा है। इस पहल से प्रेरित होकर अधिक से अधिक अभिभावक अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेज रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय रजपुरा का यह प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है, जो दिखाता है कि छोटे प्रयासों से भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।