आरोपियों पर मृतक को फोन कर बुलाने का था आरोप, लेकिन साक्ष्य के अभाव में अदालत ने उन्हें बरी किया
आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के थाना अछनेरा क्षेत्र में हत्या और सबूत नष्ट करने के मामले में दानवीर और वीरेंद्र नामक दो आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया है। एडीजे-6 (अपर जिला जज) ने दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया और उन्हें दोषमुक्त कर दिया। यह फैसला उस समय आया जब अभियोजन पक्ष मृतक के **फोन रिकॉर्ड और चश्मदीद गवाहों** को अदालत में पेश करने में विफल रहा।
मुकदमा और घटना का विवरण
यह मामला 27 मार्च 2012 की रात को घटित हुआ था, जब वासुदेव सिंह ने अपने चचेरे भाई मुख्तयार सिंह की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। वादी के अनुसार, मृतक को किसी अज्ञात व्यक्ति का फोन आया था, और वह लैट्रिन जाने के बहाने घर से बाहर निकला था, लेकिन रात में वापस नहीं लौटा। अगले दिन, मृतक की लाश महावीर के बोरिंग के कुएं से बरामद हुई। मृतक के गले में फंदा कसा हुआ था, और शव को कुएं में फेंककर सबूत नष्ट किए गए थे।
आरोपियों पर आरोप था कि दानवीर और वीरेंद्र ने मिलकर मृतक की हत्या की, और सबूतों को नष्ट करने के लिए शव को कुएं में फेंक दिया। पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लिया था, और जांच में यह बात सामने आई कि मृतक और दानवीर के बीच व्यक्तिगत संबंध थे। मृतक की पत्नी और दानवीर के बीच कई बार बातचीत भी हुई थी, जिसका पुलिस ने फोन रिकॉर्ड से खुलासा किया था।
नाकाम साक्ष्य और गवाहों की कमी
अभियोजन पक्ष ने चश्मदीद गवाहों को अदालत में पेश नहीं किया, और मृतक के फोन की सीडीआरको भी अदालत में सही तरीके से प्रस्तुत करने में विफल रहा। इस कारण, साक्ष्य के अभाव में अदालत को यह आदेश देने पर मजबूर होना पड़ा कि दोनों आरोपियों को बरी किया जाए।
अदालत का फैसला
अदालत में दोनों आरोपियों के वरिष्ठ अधिवक्ता रामप्रकाश शर्मा और हर्षल राठौर ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रहा है, और इसलिए दोनों आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अभियोजन पक्ष द्वारा फोन कॉल्स की सीडीआर और चश्मदीद गवाहों को सही तरीके से प्रस्तुत न करना मुख्य कारण बना जिसके चलते अदालत ने दानवीर और वीरेंद्र को बरी करने का आदेश दिया।