आगरा। शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर बालाजीपुरम स्थित चिरंजीव सेवासदन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पाँचवें दिन नंदोत्सव की उल्लासपूर्ण झलक देखने को मिली। भक्तों ने पूरे श्रद्धा भाव से “कान्हा की जय-जयकार” करते हुए श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आनंद उठाया।
पिछले 23 वर्षों से निरंतर आयोजित हो रही इस दिव्य कथा का आयोजन इस वर्ष भी पूरी भव्यता के साथ किया गया है। व्यासपीठ से पूज्य संत स्वामी रामप्रपन्नाचार्य महाराज** ने भक्तों को नंदोत्सव, पुतना वध, गोचर लीला आदि लीलाओं के रोचक व प्रेरणादायक प्रसंग सुनाए।
पूज्य संत का संदेश:
संत रामप्रपन्नाचार्य जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि पाप सबसे पहले आंखों के रास्ते मन में प्रवेश करता है और फिर मन से होकर बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है। इसलिए सदैव अच्छे साहित्य, सत्संग व धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए जिससे मन और बुद्धि शुद्ध बनी रहे।
उन्होंने कहा कि नंद बाबा और यशोदाको जो पुत्र सुख प्राप्त हुआ, वैसा सुख तीनों लोकों में किसी को नहीं मिला। जब कान्हा का जन्म हुआ, तो पूरे गोकुल में उल्लास की लहर दौड़ गई। हर गली, हर घर में बधाई और उत्सव का माहौल था।
युवाओं को दिया धर्म का संदेश
संत ने विशेष रूप से आज की युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के युवा अपने धर्म और भगवान को भूलते जा रहे हैं। यदि तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो, तो गीता, भागवत और रामायण पढ़ो। इससे न केवल तुम्हारा जीवन संवर जाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियाँ भी संस्कारवान बनेंगी।”
श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति
कथा स्थल पर भक्तों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। कथा में प्रमुख रूप से आचार्य ब्रह्मचारी जी, के.के. भारद्वाज, हरेश लवानिया, ठा. राजवीर सिंह, महेश त्यागी, कमल सिंह तोमर, बृज किशोर वर्मा, आर. एन. दीक्षित, रविंद्र पाराशर, राकेश गुप्ता, हरिदास बाबा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
भावपूर्ण समापन की ओर बढ़ती कथा
श्रीमद् भागवत कथा का यह दिव्य आयोजन आने वाले दिनों में और भी महत्वपूर्ण प्रसंगों के साथ आगे बढ़ेगा। आयोजकों ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे समय से पधारें और इस आध्यात्मिक अमृत वर्षा का लाभ लें।