आगरा : नहर विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा, धारियों के लिए ‘भगवान’ बने सिंचाई पर्यवेक्षक

Jagannath Prasad
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नाले की जमीन पर सड़क डाल कर किया गया अनधिकृत कब्जा

उच्च अधिकारियों को सूचना देने के नाम पर कर रहे गुमराह, अधिकारियों को भनक तक नहीं

मघटई नाले पर विभाग की लगभग 400 मीटर जमीन पर हुआ अवैध निर्माण

आगरा। जनपद आगरा में नहर विभाग के एक सिंचाई पर्यवेक्षक को न तो अपने उच्च अधिकारियों का भय है और न ही प्रशासन का डर। विभागीय सुरक्षा की आड़ में वह क्षेत्र में जमकर अवैध कब्जे करा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि अधिशाषी अभियंता तक इस मामले को नजरअंदाज कर रहे हैं। वहीं इस प्रकरण में अधीक्षण अभियंता फोगाट ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।बताया जाता है कि बिचपुरी क्षेत्र अंतर्गत मघटई नाले पर, पंडित जी भोजनालय के पास से निकलने वाली गली से लेकर कोरियर गोदाम के पीछे तक, नगर विभाग की लगभग 400 मीटर जमीन पर बिना रोक-टोक सड़क डालकर कब्जा किया जा रहा है।

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मघटई नाले की जमीन पर डाली गई अवैध सड़क

स्थानीय लोगों ने इस अवैध कब्जे की सूचना लगभग एक सप्ताह पूर्व सिंचाई पर्यवेक्षक दानवीर सिंह को दी थी। उन्होंने कहा था कि प्रकरण संज्ञान में है और उच्च अधिकारियों को जानकारी दे दी गई है, जल्द कार्रवाई होगी। लेकिन न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई।यह राज तब खुला जब इस संबंध में अधिशाषी अभियंता नीरज से संपर्क किया गया। उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही वाट्सएप पर भेजी गई फोटो और जानकारी का जवाब दिया। इसके बाद अधीक्षण अभियंता फोगाट से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें इस प्रकरण की कोई जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि अब वे पूरे मामले की जानकारी तलब कर अवैध कब्जे सहित संबंधित कर्मचारियों की भूमिका की जांच कर कठोर कार्रवाई कराएंगे।,    मशहूर कारोबारी से हुई लाखों की सौदेबाजी  ,   नहर विभाग की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे को लेकर अब नए खुलासे सामने आ रहे हैं। गुप्त सूत्रों के अनुसार, नहर विभाग के क्षेत्रीय स्तर पर तैनात अधिकारियों के बीच सात लाख रुपये की सौदेबाजी हुई है। बताया जाता है कि इसी सौदेबाजी के चलते मघटई नाले के पास विभागीय जमीन पर कब्जा कराया जा रहा है।सूत्रों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में कई विभागीय कर्मचारियों की संलिप्तता बताई जा रही है। यदि उच्च स्तरीय गोपनीय जांच कराई गई तो कई कर्मचारियों की गर्दन फंसना तय है।,      पूर्व में भी रहे हैं विवादों में क्षेत्रीय कर्मचारी :यह पहला मामला नहीं है जब क्षेत्रीय सिंचाई पर्यवेक्षक पर सवाल उठे हों। पूर्व में भी वे सुनारी तिराहे पर बने एक बिल्डिंग निर्माण मामले में चर्चा में रहे हैं। आरोप है कि उस समय नाले की जमीन को मिलाकर एक बिल्डिंग का निर्माण कराया गया था। बताया जाता है कि एक प्रसिद्ध हलवाई से कथित लाभ लेकर इस निर्माण को अनुमति दी गई थी। कार्रवाई करने के बजाय संबंधित कर्मचारियों को संरक्षण प्रदान किया गया।तत्कालीन अधिशाषी अभियंता के स्थानांतरण के बाद अब संबंधित पर्यवेक्षक की फिर से सक्रियता बढ़ गई है, और क्षेत्र में जमकर अवैध निर्माण व कब्जे की गतिविधियाँ तेज़ी से चल रही हैं।

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