एटा, जैथरा। एटा जिले के जैथरा कस्बे में स्थित श्री गांधी सार्वजनिक इंटर कॉलेज के खेल मैदान (क्रीड़ा स्थल) पर हुए अवैध निर्माण को लेकर उठा विवाद लगातार गहराता जा रहा है। प्रशासन ने आनन-फानन में निर्माण कार्य को भले ही रोक दिया हो, लेकिन इस सरकारी भूमि पर कब्जा करने की कोशिश करने वाले जिम्मेदारों के खिलाफ अब तक कोई भी वैधानिक कार्रवाई न होने से स्थानीय लोगों और खेल प्रेमियों में भारी रोष (नाराजगी) व्याप्त है। यह घटना सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा करने के प्रयासों को लेकर स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जैथरा के हृदय में स्थित श्री गांधी सार्वजनिक इंटर कॉलेज परिसर के सामने मौजूद खेल मैदान पर हाल ही में कुछ दुकानों का अवैध निर्माण शुरू कराया गया था। यह मैदान नगर का एकमात्र बड़ा खेल स्थल है, जो दशकों से ब्लॉक स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं, विकास प्रदर्शनियों, मेलों और विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र रहा है।
स्थानीय लोगों, खेल प्रेमियों और जनप्रतिनिधियों ने खुलकर आरोप लगाया कि यह अवैध निर्माण नगर पंचायत और कॉलेज प्रबंध तंत्र की मिलीभगत (दुरभि संधि) से किया जा रहा था। उनका कहना था कि दोनों पक्षों ने मिलकर सरकारी और सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर व्यावसायिक कब्जा करने की योजना बनाई थी।
मीडिया और जनविरोध के बाद रुका निर्माण
मामले का खुलासा होने और स्थानीय लोगों द्वारा तीव्र विरोध दर्ज कराए जाने के बाद मामला मीडिया में आया। खबरें प्रकाशित होने पर प्रशासन हरकत में आया और मौके पर पहुंचकर अवैध निर्माण कार्य को तुरंत रुकवा दिया।
हालांकि, अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति (Zero Tolerance Policy) के बावजूद, जिसने सरकारी भूमि को कब्जामुक्त करने का अभियान चला रखा है, स्थानीय प्रशासन दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?
स्थानीय लोगों में नाराजगी और भविष्य की चिंता
लोगों का स्पष्ट मत है कि सरकारी और सार्वजनिक संपत्तियों पर अवैध कब्जे की कोशिश करना एक गंभीर अपराध है। यदि इस प्रकरण में दोषी पाए गए नगर पंचायत अधिकारियों और कॉलेज प्रबंधन के सदस्यों पर निष्पक्ष जांच कर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में भी सार्वजनिक स्थलों पर कब्जे के ऐसे प्रयास लगातार देखने को मिल सकते हैं, जिससे सरकारी भूमि सुरक्षित नहीं रहेगी।
खेल प्रेमियों और जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन और विशेष रूप से जिलाधिकारी (DM) से मांग की है कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जवाबदेही तय करते हुए दोषियों पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर उन्हें दंडित किया जाए।
सूत्रों के अनुसार, निर्माण कार्य रुकने के बाद अब नगर पंचायत जैथरा और कॉलेज प्रबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, दोनों पक्ष एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश कर रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे (Land Grabbing) की प्रवृत्ति और स्थानीय प्रशासन की निगरानी पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।