खनन अधिकारी और क्षेत्रीय पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल, लाइव वीडियो बने सबूत
मिढ़ाकुर पुलिस चौकी से डेढ़ किलोमीटर दूरी पर खनन माफिया कर रहे हैं धरती का सीना छलनी
किरावली। न नियमों का डर, न कार्यवाही का भय—खनन माफिया बेखौफ होकर थाना किरावली क्षेत्र के अंतर्गत मिढ़ाकुर पुलिस चौकी क्षेत्र में अवैध खनन का खेल खुलेआम खेल रहे हैं। चौकी से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित घड़ी गूजरा गांव के खेतों में बीते कई दिनों से रातभर जेसीबी मशीनें और डंपर मिट्टी की खुदाई में लगे हुए हैं। मंगलवार की सुबह तक मिट्टी से भरे डंपर धड़ल्ले से दौड़ते रहे, जबकि क्षेत्रीय पुलिस और खनन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने रहे।
अवैध खनन का यह खुला खेल अब इंटरनेट मीडिया पर भी उजागर हो चुका है। लाइव लोकेशन के साथ कई वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं, जिनमें रातभर सड़कों पर दौड़ते डंपर साफ नजर आ रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि जब ये वाहन चौकी के सामने से गुजरते हैं, तब पुलिस की नजर उन पर क्यों नहीं पड़ती?प्रदेश सरकार और आगरा जिलाधिकारी द्वारा अवैध खनन पर अंकुश लगाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं, मगर जमीनी स्तर पर अधिकारियों की मिलीभगत इन प्रयासों को पलीता लगा रही है। खनन माफिया कथित रूप से क्षेत्रीय पुलिस और विभागीय अधिकारियों से साठगांठ कर लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं। डंपरों के रूट बने खनन का सबूत : जानकारी के मुताबिक, डंपर डावली सड़क के अंडरपास से होकर इंद्रप्रस्थ होटल के पास से गुजरते हुए मिढ़ाकुर चौकी के सामने से निकलते हैं। बताया जाता है कि मंगलवार सुबह करीब आठ बजे तक आधा दर्जन से अधिक डंपर मिट्टी लेकर क्षेत्र में दौड़ते रहे।स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध खनन की शिकायतें कई बार दी जा चुकी हैं, लेकिन न पुलिस हरकत में आती है और न ही खनन अधिकारी मौके पर पहुंचते हैं।लोगों ने शासन से मांग की है कि इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और मिलीभगत में लिप्त अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। : कस्बावासियों और राहगीरों को उड़ती धूल से परेशानी : रात्रि के समय अवैध खनन के दौरान मिट्टी से भरे लगभग आधा दर्जन डंपर तेज रफ्तार से दौड़ते हैं। इस दौरान दोपहिया वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दिन में सड़क पर गिरी मिट्टी से उड़ती धूल कस्बावासियों और राहगीरों के लिए मुसीबत बनी हुई है।स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार उड़ती धूल के कारण बुजुर्गों और बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है। “ये हैं जिम्मेदार!”अवैध खनन पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी खनन अधिकारी, क्षेत्रीय खनन प्रभारी अधिकारी, क्षेत्रीय उपजिलाधिकारी और क्षेत्रीय पुलिस की होती है। इन सभी की संयुक्त कार्रवाई से ही खनन पर नियंत्रण लगाया जा सकता है। लेकिन यह सब मिलीभगत का नतीजा है — खनन माफिया सेटिंग कर बेखौफ खनन कर रहे हैं।