थाने से चंद कदमों की दूरी पर दुकानदार-ग्राहक भिड़े, सड़क पर जमकर चली मारपीट
पुलिस के सामने युवक पर जड़ा थप्पड़, मगर थप्पड़बाज को मिला अभयदान — वीडियो वायरल होने पर उठे सवाल
अग्र भारत संवाददाता
आगरा।थाना अछनेरा क्षेत्र में बुधवार शाम कानून व्यवस्था का मखौल उड़ाने वाला हैरान करने वाला दृश्य देखने को मिला। थाने से कुछ ही कदमों की दूरी पर हलवाई की दुकान पर दूध के भाव को लेकर दुकानदार और ग्राहक के बीच कहासुनी हुई, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गई। दोनों पक्षों के दर्जनों लोगों ने सड़क पर हंगामा खड़ा कर दिया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने जैसे-तैसे भीड़ को तितर-बितर कर व्यवस्था संभाली। पुलिस ने दोनों पक्षों में एक-एक व्यक्ति के खिलाफ शांति भंग की मामूली कार्यवाही कर मामला रफा-दफा कर दिया। लेकिन इसके बाद जो इंटरनेट मीडिया पर वायरल वीडियो से जो सामने आया,उसने पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।दरअसल, पुलिस जब एक अर्धनग्न अवस्था में युवक को पकड़कर थाने की ओर ला रही थी, तभी उसी दौरान पुलिसकर्मियों के सामने एक दूसरा युवक बीच सड़क पर ही उस युवक को थप्पड़ मारता नजर आया है। पुलिस तमाशा देखती रही, लेकिन थप्पड़बाज युवक को न रोका, न पकड़ा। हैरानी की बात यह रही कि थप्पड़ मारने वाले को पुलिस ने मानो “अभयदान” दे दिया। पुलिस के सामने बीच सड़क पर पुलिस हिरासत में युवक थप्पड़ मारना कानून से भय न होने को दर्शाता है,फिर भी पुलिस की उस थप्पड़ मारने वाले युवक कार्यवाही शून्य होने,अभयदान देना है।यह पूरी घटना अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं — आखिर कानून व्यवस्था का यह कौन-सा रूप है, जिसमें पुलिस के सामने भी दबंगई चलती रही और कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई?स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस ने मामले को हल्के में लेकर केवल दो लोगों को शांति भंग में पाबंद किया है, जबकि वीडियो में स्पष्ट है कि मारपीट और थप्पड़ की घटना सार्वजनिक स्थान पर हुई। लोगों ने मांग की है कि पुलिस निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे, ताकि कानून का डर कायम रहे।थाना प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र कुमार द्विवेदी ने बताया कि आवश्यक कार्यवाही की गई है।वरिष्ठ अधिवक्ता पवन कुमार का कहना है, कि पुलिस को वीडियो में दिख रहे दोनों पक्षों के सड़क मारपीट करने वाले युवकों की पहचान कर मुकदमा दर्ज करना चाहिए,ताकि कानून का भय बना रहे। :अब सवाल यह है — क्या पुलिस की यह नरमी त्योहारों के समय कानून व्यवस्था को और कमजोर नहीं कर रही?
