2003 की मतदाता सूची से लेकर वर्तमान अभिलेखों तक विरोधाभास, फर्जी शिक्षक नियुक्ति से जुड़ा मामला
आगरा। विकास खंड खेरागढ़ के गांव कागारौल में सरकारी दस्तावेजों के साथ कथित छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। एक ही परिवार के सदस्यों की उम्र, जन्मतिथि और पहचान अलग-अलग सरकारी अभिलेखों में भिन्न-भिन्न दर्ज होने के आरोप लगाए गए हैं। यह मामला अब केवल मतदाता सूची तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सहारे सरकारी शिक्षक नियुक्ति तक जुड़ता नजर आ रहा है।
जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी को सौंपे गए शिकायतपत्र में अब्दुल रज्जाक तथा उसके परिवार के सदस्यों से संबंधित दस्तावेजों में गंभीर विरोधाभास दर्शाया गया है। शिकायत के अनुसार वर्ष 2003 की मतदाता सूची में दर्ज उम्र की तुलना में वर्तमान मतदाता सूची में संबंधित व्यक्तियों की उम्र 8 से 10 वर्ष तक कम दिखाई गई है, जो सामान्य त्रुटि से कहीं अधिक गंभीर प्रतीत होती है।शिकायत में यह भी कहा गया है कि आधार कार्ड, राशन कार्ड, परिवार रजिस्टर और हाईस्कूल प्रमाणपत्र जैसे महत्वपूर्ण अभिलेखों में भी उम्र और जन्मतिथि अलग-अलग दर्ज हैं। आरोप है कि इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर हाईस्कूल परीक्षा दो बार उत्तीर्ण करने के प्रमाण प्रस्तुत किए गए, जिनमें जन्मतिथि और उम्र में स्पष्ट अंतर है।मामला तब और गंभीर हो जाता है जब शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि कथित रूप से इन्हीं विवादित दस्तावेजों के सहारे बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक पद पर नियुक्ति हासिल की गई और लंबे समय से सरकारी वेतन भी लिया जा रहा है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो यह प्रकरण मतदाता सूची में हेरफेर के साथ-साथ फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों और अवैध सरकारी नियुक्ति से भी जुड़ता है।शिकायतकर्ता ने वर्ष 2003 की मतदाता सूची को साक्ष्य के रूप में संलग्न करते हुए सभी दस्तावेजों के आपसी मिलान की मांग की है। उनका कहना है कि निर्वाचन अभिलेख, शैक्षिक प्रमाणपत्र और विभागीय रिकॉर्ड की संयुक्त जांच से पूरे मामले की सच्चाई सामने आ सकती है।
