बीएनएस के तहत सुपुर्दगी प्रक्रिया की अनदेखी, थाने में खड़ी-खड़ी क्षतिग्रस्त हो रही बाइक
अग्र भारत संवाददाता
आगरा। जनपद के थाना अछनेरा क्षेत्र के कस्बा स्थित काशीराम आवास से 28 नवंबर की रात चोरी हुई बाइक के मामले में अछनेरा पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पीड़िता शबाना पुत्री लतीफ की बाइक (संख्या यूपी 80 एफबी 4316) चोरी के आठ दिन बाद पुलिस द्वारा बरामद कर ली गई थी, लेकिन लगभग एक माह बीतने के बावजूद बरामद वाहन को उसके वास्तविक स्वामी को सुपुर्द नहीं किया गया है, जो कि विधिक प्रावधानों का उल्लंघन माना जा रहा है।
पीड़िता के अनुसार, घटना के तुरंत बाद उसने थाने में लिखित तहरीर दी थी तथा चोरी से संबंधित सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को सौंपे थे, जिनमें दो अज्ञात चोर बाइक ले जाते हुए स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। इसके बावजूद पुलिस ने समय से मुकदमा दर्ज नहीं किया और वीडियो वायरल होने के बाद घटना के दो दिन उपरांत एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने बाइक को अछनेरा नगर पालिका कार्यालय के समीप से लावारिस अवस्था में बरामद किया था।
सुपुर्दगी नियमों की अनदेखी :कानून के जानकारों के अनुसार, बीएनएस के अंतर्गत चोरी से संबंधित मामलों में बरामद संपत्ति को अनावश्यक रूप से थाने में रोके रखना नियम विरुद्ध है। दंड प्रक्रिया संहिता की सुपुर्दगी प्रक्रिया के तहत, जब वाहन का स्वामित्व स्पष्ट हो और विवेचना प्रभावित न होती हो, तो बरामद वाहन को न्यायालय में दाखिल कर सुपुर्दगी आदेश के माध्यम से स्वामी को सौंपा जाना अनिवार्य होता है।पीड़िता का आरोप है कि बाइक बरामद होने के बावजूद पुलिस ने न तो समय पर उसे न्यायालय में दाखिल किया और न ही सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी की। पिछले शुक्रवार को न्यायालय से जानकारी करने पर सामने आया कि बाइक का रिकॉर्ड दाखिल ही नहीं किया गया था, जिसे विवेचना में गंभीर लापरवाही माना जा रहा है।
मालखाना नियमों पर उठे सवाल :नियमों के अनुसार, किसी भी बरामद वाहन को मालखाना रजिस्टर में विधिवत दर्ज कर सुरक्षित रखा जाना पुलिस की जिम्मेदारी होती है। पीड़िता द्वारा वायरल किए गए वीडियो में थाने परिसर में खड़ी बाइक की हालत खराब दिखाई दे रही है, जिससे मालखाना नियमों के पालन पर भी प्रश्नचिह्न लग गए हैं।पीड़िता का कहना है कि थाने में खड़ी-खड़ी उसकी बाइक क्षतिग्रस्त होकर कबाड़ जैसी स्थिति में पहुंच गई है, फिर भी पुलिस द्वारा उसे सुपुर्द नहीं किया जा रहा है। बार-बार थाने के चक्कर लगाने के बावजूद हर बार ,दो दिन या पांच दिन बाद आने की बात कहकर उसे टाल दिया जाता है।
उच्चाधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग :मामले को लेकर आमजन में भी चर्चा है कि जब वाहन बरामद हो चुका है और स्वामित्व निर्विवाद है, तो सुपुर्दगी में देरी किस नियम के तहत की जा रही है। पीड़िता ने इस प्रकरण में संबंधित उपनिरीक्षक पर अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाते हुए उच्च पुलिस अधिकारियों को शिकायत पत्र सौंपने की बात कही है। उसने निष्पक्ष जांच, दोषियों की जवाबदेही तय करने तथा कानून के अनुसार शीघ्र वाहन सुपुर्द किए जाने की मांग की है।वहीं, इस पूरे प्रकरण में थाना प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र कुमार द्विवेदी का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं था। यदि ऐसा हुआ है तो पीड़िता के वाहन की नियमानुसार तत्काल प्रभाव से सुपुर्दगी कराई जाएगी।
