- तुर्किये-सीरिया में 24 हजार से ज्यादा मौतें, तुर्किये में भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करने वाले रिसर्चर बोले
- भारत में भी आने वाला है शक्तिशाली भूकंप
- गुजरात के सूरत में भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर 3.8 रही तीव्रता
नई दिल्ली । तुर्किये और सीरिया में भूकंप से खतरनाक तबाही मची है। दोनों ही देशों में मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक 24,165 लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों की संख्या 78 हजार के पार हो गई है। अकेले तुर्किये में ही 20,665 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। सीरिया में 3,500 लोग मारे गए हैं।
तुर्किये और सीरिया में तबाही के बीच शनिवार को गुजरात के सूरत शहर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। सूरत में जिला आपदा प्रबंधन के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि भूकंप 5.2 किलोमीटर की गहराई में दर्ज किया गया था और इस भूकंप का केंद्र अरब सागर में था। इस भूकंप के बाद पूरे देश में डर का माहौल है। इसकी वजह यह है कि तुर्किये में भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करने वाले रिसर्चर ने भारत में शक्तिशाली भूकंप आने की भविष्यवाणी की है।
4 फरवरी को नीदरलैंड के रिसर्चर फ्रेंक होगरबीट्स ने तुर्किये, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान क्षेत्र में 7.5 तीव्रता का भूकंप आने की भविष्यवाणी की थी। इससे ठीक 2 दिन बाद 6 फरवरी को सुबह 4 बजे तुर्किये और सीरिया में 7.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया। इस भूकंप से अब तक 24 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों की संख्या 78 हजार के पार हो गई है।
अब भारत में
तुर्की के भूकंप की भविष्यवाणी करने वाले रिसर्चर फ्रेंक होगरबीट्स ने अब भारत को लेकर भी ऐसा ही दावा किया है। एक वीडियो में फ्रेंक कहते हैं कि आने वाले कुछ दिनों में एशिया के अलग-अलग भागों में जमीन के भीतर हलचल की संभावना है। ये हलचल पाकिस्तान और अफगानिस्तान से होते हुए हिंद महासागर के पश्चिमी तरफ हो सकती है। भारत इनके बीच में होगा। वहीं चीन में भी आने वाले कुछ दिनों में भूकंप आ सकता है।
सूरत में भूकंप के झटके
तुर्की में भूकंप के जोरदार झटकों के बाद शनिवार को अब से कुछ देर पहले गुजरात के सूरत शहर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। सूरत में जिला आपदा प्रबंधन के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि भूकंप 5.2 किलोमीटर की गहराई में दर्ज किया गया था और इस भूकंप का केंद्र अरब सागर में था।भूकंप विज्ञान अनुसंधान संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि भूकंप की तीव्रता 3.8 दर्ज की गई है। दूसरी ओर जिला आपदा प्रबंधन के एक अधिकारी ने कहा कि भूकंप 5.2 किलोमीटर की गहराई में दर्ज किया गया था। इस भूकंप से किसी तरह की प्रॉपर्टी या फिर जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है। हालांकि लोगों में दहशत का माहौल हैं।
गुजरात में भूकंप का खतरा बहुत ज्यादा
गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार राज्य में भूकंप का खतरा बहुत ज्यादा है। गुजरात को भूकंप के लिहाज से हाई रिस्क जोन में रखा गया है। गुजरात में वर्ष 1819, 1845, 1847, 1848, 1864, 1903, 1938, 1956 और 2001 में बड़े भूकंप आ चुके हैं और हजारों लोगों की जान जा चुकी है। आपको बता दें कि साल 2001 में कच्छ में भूकंप पिछली दो शताब्दियों में भारत में तीसरा सबसे बड़ा था और दूसरा सबसे विनाशकारी भूकंप था। इस भूकंप में आधिकारिक तौर पर करीब 13,800 से अधिक लोग मारे गए थे और 1.67 लाख घायल हुए थे। आपको बता दें कि बीते सप्ताह तुर्किए और सीरिया में भूकंप के जोरदार झटकों के बाद शनिवार को गुजरात के सूरत में भी धरती हिली। तुर्किए और सीरिया को मिलाकर भूकंप में अभी तक 24 हजार लोगों की जान जा चुकी है।
अंतरराष्ट्रीय संस्था की चेतावनी
इंटरनेशनल यूनियन फॉर स्रजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आपदा से निपटने की भारत की तैयारी पहले के मुकाबले काफी बेहतर हुई है लेकिन कई ऐसे कारण हैं, जिनके चलते भारत में आपदा का खतरा है। आईयूसीएन में भारत के प्रतिनिधि यशवीर भटनागर का कहना है कि हिमालय की भंगुरता, बढ़ती जनसंख्या और बुनियादी ढांचा, देश में जोशीमठ जैसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।
बता दें कि जोशीमठ को भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है, वहां जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई हैं, जिसके चलते कई रिहायशी और व्यवसायिक इलाकों को खाली करा लिया गया है। यशवीर भटनागर ने बताया कि चाहे बाढ़ हो या बादल फटने की घटनाएं या फिर जोशीमठ जैसी घटनाएं, इनके पीछे बढ़ती जनसंख्या और बुनियादी ढांचा में विस्तार और हिमालय की भंगुरता प्रमुख वजह हैं।
उन्होंने कहा कि बतौर पर्यावरण कार्यकर्ता, हम नहीं चाहते कि विकास कार्य रुक जाएं लेकिन हम चाहते हैं कि विकास कार्य इस तरह किए जाएं कि इनसे पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे। इसरो की सैटेलाइट इमेज से खुलासा हुआ है कि जोशीमठ भू-धंसाव के चलते अपनी जगह से 5.4 सेंटीमीटर खिसक गया है।
माना जा रहा है कि इसके पीछे की वजह हिमालयी क्षेत्र में चल रहा चार धाम प्रोजेक्ट का काम है, जिसके तहत सरकार चारों धामों को जाने के लिए सभी मौसम के अनुकूल सड़क का निर्माण करा रही है ताकि उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या बढ़ सके। भटनागर ने बताया कि केदारनाथ की घटना के बाद से आपदा में हमारी त्वरित कार्रवाई में तेजी आई है। पहले के मुकाबले हम बेहतर हुए हैं।