माइग्रेन से जबड़े की बीमारी होने का खतरा तीन गुना ज्यादा 

Dharmender Singh Malik
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वे लोग जो पुराने माइग्रेन के सिरदर्द से पीड़ित हैं, उन लोगों में जबड़े की गंभीर बीमारी होने की आशंका तीन गुना तक बढ़ जाती है। एक शोध में यह बात सामने आई। शोधकर्ताओं ने कहा कि शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर (टीएमडी) सीधे तौर पर माइग्रेन पैदा न कर जबड़े के जोड़ों को प्रभावित करता है हालांकि टीएमडी, माइग्रेन के एक हमले की तीव्रता को बढ़ा सकता है।

ब्राजील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय में शोधकर्ता और प्रमुख शोध लेखक लीडियान फ्लोरेंसियो ने कहा कि माइग्रेन बहुत से कारणों के साथ एक न्यूरोलॉजिकल डिजीज़ है, जबकि टीएमडी, गर्दन का दर्द और ब्रेन सेल संबंधी अन्य विकार माइग्रेन से ग्रस्त मरीजों की सेंसेविटी और रोग को बढ़ाता है।

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टेम्पोरोमैंडिबुलर जोड़ जबड़े को स्कल की हड्डी से जोड़ते हुए कब्जे के समान कार्य करता है, इसलिए चबाने और जोड़ों के तनाव में कठिनाई विकार के लक्षण में शामिल हैं।उन्होंने कहा कि माइग्रेन के हमले बार-बार होने से दर्द बढ़ सकता है।

अध्ययन के लिए टीम ने 30 साल के आसपास उम्र की महिलाओं पर गौर किया, जिनका किसी तरह का कोई पुराना माइग्रेन या एपिसोडिक माइग्रेन या माइग्रेन का इतिहास नहीं था जिन्हें माइग्रेन की शिकायत नहीं थी, उनमें 54 प्रतिशत टीएमडी के लक्षण पाए गए, जबकि हाल ही में माइग्रेन की शिकार हुई महिलाओं के साथ 80 प्रतिशत और पुराने माइग्रेन वाली महिलाओं में इसके 100 प्रतिशत लक्षण पाए गए। शोधकर्ताओं ने कहा है कि माइग्रेन से पीड़ित लोगों में टीएमडी होने की प्रबल संभावना रहती है, जबकि टीएमडी ग्रस्त लोगों में जरूरी नहीं कि उन्हें माइग्रेन हो।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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