यमुना प्रदूषणः आंदोलन जीवी हुए मौन, अब पीर सुनेगा कौन

Sumit Garg
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.वृंदावन में मैली हो रही यमुना, सीधे गिर रहे नाले

दीपक शर्मा
अग्रभारत

वृन्दावन। यमुना पर आंदोलन का नेतृत्व करते रहे लोग लम्बे समय से मौन हैं। यमुना प्रदूषण का मुद्दा अब लोगों के जेहन में नहीं आता। जबकि कुछ वर्ष पूर्व यह मुद्दा गाहे बगाहे लोगों का ध्यान खींचता रहता था और आंदोलनों की लम्बी श्रृंखला का गवाह रहा है। भगवान श्री कृष्ण और यमुना महारानी का ब्रज में एक अलग ही महत्व है। बावजूद इसके मां यमुना महारानी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने पर मजबूर है। करीब एक दशक पहले संत रमेश बाबा के सानिध्य में लाखों भक्तो ने मोक्ष दायिनी मां यमुना को दूषित जल से मुक्त कराने के लिए आमरण अनशन के साथ दिल्ली में कुच कर सरकार से यमुना में शुद्ध जल छोड़े जाने की मांग की थी, यह आंदोलन ब्रज के इतिहास में दर्ज हो गया। राजनीतिक दलों ने भी यमुना के नाम पर खूब राजनीति की है। न्यायालय से भी कई बार आदेश जारी हुए हैं। जिससे दूषित पानी यमुना में न मिल सके। जिसको संज्ञान में लेते हुए अधिकारियों ने नालों को टैप कराने की कार्यवाही शुरू की थी। कुछ दिनों तक तो शहर का गंदा पानी यमुना में प्रवाहित नहीं हुआ, लेकिन वादे और कोर्ट के आदेशों को जैसे ही समय बिता। वैसे ही एक बार फिर नालों का गंदा पानी सीधा यमुना में गिरने लगा। कई बार यमुना भक्तो ने विरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मां यमुना महारानी आज भी अपनी दुर्दशा आंसू बहा रही है। नालों का दूषित पानी सीधा यमुना में गिर रहा है। मजबूर यमुना भक्त सरकार को कोसते हुए स्नान करने के साथ उसी जल का मजबूरी आचमन कर रहे है। कभी आंदोलन की अटूट श्रृंखला चलाने वाले लोग आज यमुना प्रदूषण की बात तक नहीं कर रहे हैं।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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