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असफलता से मिली सफलता, चांद के भाल पर भारत का तिलक

Dharmender Singh Malik
4 Min Read

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश भारत

 

आगरा। चंन्द्रयान-3 मिशन की सफलता से उत्साहित लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, चन्दा मामा दूर के नहीं-घर के। चंद्रयान-1 से ही चंन्द्रमा पर पानी की उपलब्धता के संकेत मिले थे, अब चंन्द्रयान-3 के सफल लैंडिंग के बाद ज़्यादा से ज़्यादा सफल प्रयोग होंगे। आज भारतीय विज्ञान ने पूरी दुनिया को जय हिन्दुस्तान बोलने को विवश कर दिया है।

चंद्रयान-3 की सफलता से प्रत्येक भारतीय में विशेष उत्साह जाग उठा है, राष्ट्रप्रेम का ज्वार हर हृदय में हिलोरे ले रहा है व हर भारतवासी उत्साहित महसूस कर रहा है और यह बात हमारे राष्ट्र के लिए गर्व की बात है। चंन्द्रमा पर भारतीय कदमों के पदार्पण पर सम्पूर्ण विश्व को बधाई, वहीं चंन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला भारत पहला देश बना।इस अभूतपूर्व सफलता के पीछे भारत के करोड़ों लोगों की प्रार्थना के साथ हज़ारों वैज्ञानिकों की जीतोड़ मेहनत एवं कभी क्षीण न होने वाली ऊर्जा है।सर्वप्रथम चंन्द्रयान-1 भारत ने वर्ष 2008 में भेजा और सफलता पायी।

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सन् 2009 में चंन्द्रयान-2 को चाँद पर उतारने का स्वप्न पूर्ण होते होते रह गया।चाँद पर फ़तह करने के बाद भारत चाँद पर जाने वाले एक नवीन देश के रूप में जाना जायेगा।जो पहले चुनौती हुआ करती थी आज वह सफलता है, ऐसी तकनीकी विकसित हुई है, जिससे सम्पूर्ण विश्व मंत्रमुग्ध हो गया है।जो मिशन 2008 में शुरू किया था उसको 2023 में सम्पूर्णता हासिल हुई।युवाओं के लिए महत्वाकांक्षी भारतवासियों के लिए यह विशेष रूप से आह्लादित होने का क्षण है।भारत भले ही चाँद पर उतरने वाला चौथा राष्ट्र हो लेकिन दक्षिणी ध्रुव को फ़तह करने वाला पहला राष्ट्र है।

चंन्द्रयान-3 में सामिल सभी यंत्र भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा स्वयं की तकनीकी से बनाए गए हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा निर्मित चंन्द्रयान-3 पूरी तरह इंडियन टेक्नोलॉजी पर बनाया गया यह यान चन्द्रमा पर मौजूद पानी और बर्फ़ की उपस्थिति के बारे में ही नहीं, वहाँ के वायुमंडल के बारे में एवं प्राकृतिक तत्व, खनिजों के बारे में विशेष जानकारी प्रदान करायेगा।वहाँ पर मौजूद प्राकृतिक गैसें, जीव-जंतु, गुरुत्वाकर्षण, चाँद की सतही संरचना आदि के बारे में जानकारी देगा।

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लगभग 615 करोड़ में बनाया गया यह अंतरिक्ष यान अपने आप में एक मिसाल है, ऐसी तकनीकी विश्व ने कभी देखी न सुनी होगी, इससे भारत अंतरिक्ष एवं अन्य ग्रहों पर भेजे जाने वाले उपग्रहों वायुयानों के क्षेत्र में सिरमौर बनने की अपनी प्रतिबद्धता स्थापित करता है।इतना सस्ता इतना महत्वपूर्ण यान बनाकर चाँद पर स्थापित करने का यह करिश्मा सिर्फ़ भारतीय वैज्ञानिक ही कर सकते हैं।

होमी भाभा, विक्रम साराभाई, सीवी रमन व अब्दुल कलाम की वंश बेल जो इस वक़्त भारत में वैज्ञानिक कैलाशवादिवू सीवन या एस सोमनाथ के रूप में उपस्थित हैं।वह हिन्दुस्तान को सफलतम राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा करने के लिए काफ़ी है।

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लाल बहादुर शास्त्री जी का दिया हुआ नारा, जय जवान-जय किसान उस वक़्त का है जब हमें जवानों और किसानों को राष्ट्र के लिए सबसे मज़बूत बनाना था, उसके बाद अटल विहारी वाजपेयी जी का दिया हुआ नारा, जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान हमें परमाणु के क्षेत्र में अजेय बना गया।आज भारतीय विज्ञान ने ही समस्त दुनिया को जय हिन्दुस्तान बोलने को विवस कर दिया।चंन्द्रयान-3 के सफल होने पर समस्त वैज्ञानिकों को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बधाई दी है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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