आख़िर जगदीशपुरा कांड में पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह पर गाज गिर गई। पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह को लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध किया गया। भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। सांसद चाहर ने चार बीघा जमीन मामले में भाजपा और सरकार की छवि पर बट्टा लगने की बात कही थी।
Agra News: आगरा जनपद में हो रही ताबड़तोड़ आपराधिक घटनाओं को रोकने में नाकाम रहे पुलिस आयुक्त डॉक्टर प्रीतिंदर सिंह पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आखिरकार गाज गिर ही गई। डॉ. प्रीतिंदर सिंह पर गाज गिरने का मुख्य कारण आगरा का जगदीशपुरा कांड है, जगदीशपुरा में गरीब किसान की चार बीघा जमीन पर पुलिस, बिल्डर, भू माफिया और मीडिया के गठजोड़ ने इस कुकृत्य को अंजाम दिया। फतेहपुर सीकरी सांसद एवं भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने इस मामले में कूद पड़े और इस मामले को गर्मा दिया। राजकुमार चाहर ने इसी मामले में 6 जनवरी को मुख्यमंत्री को चिट्ठी भी लिखी थी। उसके बाद उन्होंने सोमवार को पीड़ित परिवार से मिलकर मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था कि इस मामले में आरोपी पुलिस कर्मियों को निलंबन करना ही कार्रवाई नहीं होता है बल्कि इस मामले में सभी तथ्यों को सामने लाकर दोषियों के खिलाफ बड़ी एवं कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
Agra News : रविवार को पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने खुद मीडिया के सामने आकर सफाई दी थी कि इस मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा, अगर कोई भी पुलिस कर्मी या भू माफिया गरीब की जमीन पर कब्जा करता है तो उसकी सूचना उन्हें दें। पुलिस इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करेगी। पुलिस आयुक्त की प्रेस वार्ता के बाद अगले दिन देहात क्षेत्र के कागारौल कस्बे से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा से एटीएम गायब हो गया। एटीएम में लगभग नगदी थी। उधर चार बीघा जमीन का मामला और सोमवार को कागारौल क्षेत्र में स्टेट बैंक के एटीएम को चोरों द्वारा उठा लेने के बाद आगरा के पुलिस आयुक्त कटघरे में आ गए थे।
Agra News : भाजपा सांसद राजकुमार चाहर द्वारा पुलिस को कटघरे में खड़ा करना और यह कहना कि पीड़ित किसान की चार बीघा जमीन पर भूमियाओ, राज नेताओं, पुलिस गठजोड़ से आगरा पुलिस के साथ-साथ यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा की छवि पर बट्टा लगा है। बस यहीं से पुलिस आयुक्त की उल्टी गिनती शुरू हो गई। अनुमान लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा पुलिस के अधिकारियों पर गाज गिर सकते हैं। मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए 6 आईपीएस के स्थानांतरण में आगरा के पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह का नाम भी शामिल है। पिछले तीन-चार दिनों से शहर में यही अटकलें लगाई जा रही थी और चर्चाओं का दौर चल रहा था कि इसमें किसी बड़े अधिकारी का विकेट गिर सकता है। चर्चाओं में तो यह भी है कि अभी इस मामले में और भी विकेट गिर सकते हैं। बहरहाल, आगरा पुलिस आयुक्त पर गाज गिरने के बाद उन्हें अब लखनऊ पुलिस मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है और आगरा में 2005 के आईपीएस अधिकारी जे.रविंद्र गौड़ को आगरा का नया पुलिस आयुक्त बनाया गया है।
आइए समझते हैं पूरा मामला
आगरा। खाकी, खादी और बिल्डर ने गठजोड़ कर करोड़ों की भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया। जमीन के असली मालिकों को शराब और गांजा में जेल भेज दिया। जब ये जेल से बाहर आए तो पूरा किस्सा खुल गया। इस मामले में फतेहपुर सीकरी से भारतीय जनता पार्टी के सांसद राजकुमार चाहर ने सराहनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने जमीनों पर कब्जा करने वालों को खरी-खोटी सुनाई है। आइए समझते हैं पूरा मामला।
जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में बैनारा फैक्ट्री के पास बीएस कॉम्प्लेक्स के पास 4 बीघा जमीन है। नवंबर, 2023 में बोदला रोड निवासी उमा देवी ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से एक शिकायत की थी। इसमें कहा गया कि उनके ससुर सरदार टहल सिंह के नाम से खतैना में 4 बीघा जमीन है। ससुर टहल सिंह और पति सरदार जसवीर सिंह की मौत हो चुकी है। इसके बाद जमीन पर उमा का कब्जा था। जमीन की देखरेख का जिम्मा टहल सिंह ने रवि कुशवाहा और शंकरलाल कुशवाहा को दिया था।
दोनों भाई करीब 35 साल से परिवार समेत इसी जमीन पर रह रहे थे। रवि की पत्नी पूनम और बहन पुष्पा भी वहां रहती थी। उमा देवी का कहना है कि 2017 में उनकी जमीन पर कब्जे का प्रयास किया गया था, उस समय भूमाफिया कामयाब नहीं हो पाए थे। 20 अक्टूबर को रात 11 बजे कमल चौधरी, धीरू चौधरी व अन्य लोग हथियार लेकर आए और जमीन पर लगे गेट का ताला तोड़कर अवैध कब्जा कर लिया। पुलिस विभाग में अच्छी पैठ रखने वाले एक शख्स ने कब्जा दिलाने का जिम्मा लिया था।
26 अगस्त, 2023 को रवि और शंकरिया कुशवाह और चौकीदार ओम प्रकाश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोप लगाया कि ये लोग गांजा बेच रहे थे। उनके पास से 9 किलो गांजा बरामद हुआ है। इसके बाद दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। इसके बाद अवैध शराब के फर्जी केस में रवि की पत्नी पूनम और बहन पुष्पा को 9 अक्टूबर को जेल भेज दिया। 8 दिसंबर, 2023 को रवि कुशवाहा जेल से छूटे। 9 दिसंबर को शंकरिया और ओम प्रकाश भी जेल से रिहा हो गए। 30 नवंबर को पुष्पा और पूनम रिहा हुई थीं।
पीड़ित परिवार की ओर से एक वीडियो दिखाया गया। ये वीडियो जमीन पर कब्जा होने के समय का बताया गया। इस वीडियो में गेट पर भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय कार्यालय दक्षिण विधानसभा विधायक योगेंद्र उपाध्याय लिखा दिख रहा है। परिवार ने बताया कि 2017 के चुनाव के समय गेट पर ये लिखवाया गया था। उनका आरोप था कि उस समय विधायक की ओर से उनसे कहा गया था कि जमीन खाली कर दो। यहां पर कार्यालय खुलेगा। बड़े-बड़े नेता आएंगे। मगर, उस समय उन्होंने जमीन खाली नहीं की थी।
रवि की बहन पुष्पा ने बताया कि पूरा परिवार भाई को छुड़ाने की कोशिश में लगा था। भाई के जेल जाने के कुछ दिन बाद घर में चोरी हो गई। पूरा परिवार एक कमरे में सो रहा था। दूसरे कमरे का ताला तोड़कर चोर सामान के साथ बल्ब भी निकाल ले गये। दूसरे दिन शाम को वह बल्ब लगा रही थी। तभी ढेड़ दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों ने बड़े अपराधियों की तरह घर में दबिश दी। घर के कमरों की तलाशी लेने गये। सामान कहां रखती हो। वह पूछती रही क्या पर उसकी किसी ने नहीं सुनी। भाई और बच्चों को उठा कर थाने ले गये। अगले दिन दिन कट्टों में शराब बरामदी दिखा दी।
जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में जमीन पर कब्जा कराने को दो परिवारों को जेल भेजने के मामले में तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार, कब्जा करने वाले बिल्डर कमल चौधरी और धीरू चौधरी के खिलाफ डकैती का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने रवि कुशवाहा को पुन: कब्जा भी दिलाया।
बेकसूरों को जमानत मिलने से पहले ही पुलिस ने काम पूरा कर दिया। विवेचक दारोगा आशीष कुमार त्यागी ने 17 सितंबर को ही तीनों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी। चार्जशीट में साक्ष्य के तौर पर खेत में गांजे के साथ खींचे गए फोटो लगाए गए हैं। इसमें तीन कट्टे गांजा और स्कूटर बरामद दिखाए गए।
जगदीश पुरा थाना के बोदला रोड़ पर करोड़ों की जमीन को कब्जाने के मामले में नामचीन बिल्डर और एसओ सहित कई चर्चित लोगों के नाम सामने आये। पुलिस ने मामले में एसओ सहित चार लोगों को निलंबित का डकैती का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस के हाथ खाली है। पुलिस ने आरोपियों के घर दबिश दी। लेकिन आरोपी हाथ नहीं लगे। पुलिस घर के बाहर नोटिस चस्पा करके लौट आई।
डीसीपी सिटी सूरज राय दोपहर तीन थानों के फोर्स के साथ बिल्डर कमल चौधरी के आलोक नगर स्थित घर पहुंचे। कमल चौधरी के बारे में पूछताछ की। घर में महिलाएं ही थीं। बेटी ने कहा कि पिता दो दिन से घर में नहीं हैं। पुलिस नोटिस धमाकर निकल आई। जेल में धमकाने पहुंचे पहलवान पुरुषोत्तम के पर पुलिस पहुंची। वह भी नहीं मिला। दरोगा जितेंद्र कुमार भी घर पर नहीं मिला। इन सभी को नोटिस दिए गए हैं
जयपुर हाउस निवासी नेमीचंद जैन के घर भी पुलिस गई। घर में केयरटेकर ही था। उसने बताया कि 3-4 दिन से परिवार मुंबई गया है। नेमीचंद का फोन बंद था। पुलिस को पीड़ित ने नेमीचंद का नाम बताया था। कहा था कि वह जमीन को अपनी बताता है। उसने ही कमल चौधरी के माध्यम से जमीन खाली करवाई। केयरटेकर को नोटिस देकर लौट गए। इसके बाद पुलिस विभव नगर में बिल्लू चौहान के घर पहुंची। वो भी नहीं मिला। परिजन ने कहा भोपाल गए हैं। फोन पर बातचीत में पुलिस को बयान देने की बात कही है।
जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा कराने के लिए फर्जी मुकदमे लिखकर जेल भेजने वाले निलंबित एसओ और बिल्डर पर पीड़ित परिवार की पैरवी करने वाले को धमकाने का आरोप लगा है। तत्कालीन एसओ ने निलंबन से 10 घंटे पहले पीड़ित के चचेरे भाई पर समझौते के दबाव बनाया। न मानने पर धमकी दी कि ध्यान रखो गोली भी पड़ सकती है। फिर न जमीन होगी और न केस रहेगा।
जमीन खाली कराने के लिए फर्जी केस में जेल भेजने वाले दरोगा ने रवि कुशवाह के परिजनों को जान से मारने की धमकी दी थी। रवि के चचेरे भाई मोहित कुशवाह ने बताया कि भाई को जेल भेजने का मामला मीडिया में आने के बाद तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार ने पांच जनवरी को उन्हें परिचित के द्वारा फोन कर संजय प्लेस में गुफा मॉडल शॉप पर बुलाया था। उन्होंने कहा था कि तुम्हें दिक्कत हो जाएगी, मीटिंग कर लो। मना करने पर डराया। धमकाकर होटल आने को कहा। परिचित ने घर आकर बताया। वो अपनी कार से सुबह 10:30 बजे संजय प्लेस में मॉडल शॉप के बाहर पहुंचे।
मोहित ने बताया कि एसओ जितेंद्र कुमार स्विफ्ट गाड़ी से पहले ही आ गए थे। वो उन्हें होटल पीएल पैलेस में ले गए। वहां पर एक कमरे में बिल्डर कमल चौधरी बैठा था। आरोप है कि बिल्डर ने कहा कि हां भई, क्या करना है। क्यों इतना बवाल मचा रखा है। अब एक काम करो केस को खत्म करवाओ। सबके नाम हटवाओ। जमीन के बारे में भी भूल जाओ। तुम्हें इतना मिल जाएगा कि जिंदगी आराम से कट जाएगी। खुश रहोगे। मोहित ने कहा कि हमें कुछ नहीं चाहिए। उनका केस खत्म हो जाए और सभी लोग अपनी जमीन पर पहुंच जाएं। इस पर बिल्डर ने कहा कि जगह तो भूल जाओ। न जगह पर रह पाओगे, न ही मुकदमे खत्म होंगे। हमारी बात नहीं मानोगे तो दिक्कत में आ जाओगे।
वहां मौजूद एसओ जितेंद्र कुमार बिल्डर की हां में हां कर रहे थे। उसने कहा कि इनकी बात मान लो। ये बड़े लोग हैं। इनसे नहीं जीत पाओगे। ऊपर तक सेटिंग रखते हैं। बात नहीं मानोगे तो गोली भी पड़ सकती है। आपके साथ कोई हादसा भी हो सकता है। पीड़ित का आरोप है कि करीब एक घंटे की बातचीत में एसओ और बिल्डर धमकाते रहे। इससे वो डर गए। वहां से भाग आए।
मोहित कुशवाह ने बताया कि कमरे से बाहर आने के बाद उन्होंने होटल की पार्किंग में खड़ी जितेंद्र कुमार की गाड़ी का वीडियो भी बनाया। इसमें उनकी कैप भी रखी थी। वह अपनी कार से आए थे। पीड़ित का कहना है कि पुलिस होटल में जाएगी तो सीसीटीवी फुटेज मिल जाएंगे। वह होटल के गेट से लेकर कमरे तक गए थे। यह सब कुछ कैमरे में कैद हो गया होगा।
पीड़ित के भाई ने बताया कि धमकी से वो और उनका परिवार डर गया था। इसके चलते रविवार को जब पुलिस कमिश्नर ने रवि कुशवाह को बुलाया था तो वो डर के चलते उनके पास नहीं गए थे। जब पुलिस ने मुकदमा लिखकर कार्रवाई की तो उनकी हिम्मत बढ़ी। डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि पीड़ित परिवार ने बिल्डर और निलंबित दरोगा पर होटल में बुलाकर धमकाने के आरोप लगाए हैं। इस मामले में भी विवेचना कर कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी तरीके से गांजा और शराब में मुकदमा लिखकर जेल भेजने पर पुलिस फंस गई लेकिन आबकारी वाले भी अभी बचे हुए हैं। वे यह कहकर बच रहे हैं कि पुलिस ने मौके पर बुलाया था। हल्ला मचा तो लखनऊ तक पहुंच गया। पुलिस आयुक्त ने प्रेसवार्ता में कहा कि जगदीशपुरा जैसी कोई और भी घटना हुई है तो पीड़ित बताए। फर्जी मुकदमे लिखाकर जमीन पर कब्जे हुए हैं तो उनसे शिकायत करें। पुलिस किसी जमीन को खाली कराने का दबाव बना रही हो तो उन्हें बताएं। मामला भले ही पुराना क्यों न हो। सख्त कार्यवाही करेंगें।
जगदीशपुरा थाने में जितेंद्र कुमार की तूती बोलती थी। वह थानाध्यक्ष थे। थाने पहुंचते तो पुलिसकर्मी जय हिंद करते थे। रविवार को उसी थाने की पुलिस उनकी तलाश में दबिश दे रही है। करोड़ों की जमीन पर कब्जे के लिए दो फर्जी मुकदमे लिखे गए थे। पांच निर्दोष जेल भेजे गए थे। राज खुले तो वह खुद कठघरे में आ गए। जिस थाने में एसओ रहे थे उसी में डकैती के आरोपित बन गए। उनके साथ 15 अज्ञात और बिल्डर कमल चौधरी और धीरू चौधरी को भी नामजद किया है।
अकेले थाना प्रभारी ही नहीं और भी पुलिस कर्मियों की करतूत सामने आ रही है। विवेचक ने 21 दिन में एनडीपीएस के मुकदमे में चार्जशीट लगाई थी। पीड़िता पूनम ने पहला प्रार्थना पत्र 16 सितंबर को अपर पुलिस आयुक्त के कार्यालय में दिया था। तब तक महिलाएं जेल नहीं गई थी। कठघरे में जगदीशपुरा पुलिस थी। जांच भी जगदीशपुरा थाने में तैनात दरोगा शक्ति राठी को दे दी गई। उसने भी अधिकारियों को जानकारी नहीं दी।
इस मामले में फतेहपुर सीकरी से सांसद राजकुमार चाहर मौके पर पहुंचे। पीड़ितों से मिले। फिर उन्होंने मीडिया से कहा- कोई भी हो, चाहे नेता क्यों न हो, नेता का फर्ज होता है कि समाज की रक्षा करे, समाज की जरूरत का पूरा करे, यही हमारी सरकार की प्राथमिकता है, इसमें कोई भी बख्शा नहीं जाना चाहिए।
सांसद ने कहा कि ये पूरा घटनाक्रम एक गैंग बनाकर किया गया है। फिल्मी अंदाज में इस घटनाक्रम को अंजाम दिया है। कोई भी व्यक्ति किसी भी स्तर को हो, चाहे राजनीतिक हो या कोई अन्य स्तंभ से जुड़ा हो या अपने आपको ताकतवार मनाता हो। उसके खिलाफ बिंदुवार जांच होनी चाहिए।
श्री चाहर ने कहा कि आजकल तो सीडीआर से मोबाइल कॉल डिटेल से सब पता चल जाता है। उस समय घटना के दिन कौन-कौन थानाध्यक्ष के संपर्क में था। अगर नेता था तो नेता भी, व्यापारी या जो भी माफिया हो उसकी जांच होनी चाहिए। आबकारी कर्मियों की क्या भूमिका थी? अधिकारियों ने झूठे मुकदमे का मामला क्यों नहीं पकड़ा? यह सब जांच में आना चाहिए। गेट पर पहले किसका नाम था और अब किसका नाम था, इसकी जांच भी आनी चाहिए।