सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु रामदेव को अगली सुनवाई पर पेश होने का आदेश दिया है। यह आदेश बीमारियों के इलाज पर भ्रामक विज्ञापनों को लेकर जारी अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर दिया गया है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि और बालकृष्ण को पहले जारी नोटिसों का जवाब नहीं देने पर कड़ी आपत्ति जताई। पीठ ने रामदेव को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को उसके उत्पादों के बारे में गलत दावे करने पर कड़ी फटकार लगाई थी। न्यायालय ने पतंजलि को आगाह किया था कि वह अन्य दवा प्रणालियों के बारे में गलत बयान न दे।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने आरोप लगाया था कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए।
अदालत ने केंद्र और आईएमए को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 15 मार्च मुकर्रर की। रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।