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जन्माष्टमी 2024: जानिए भगवान कृष्ण के शतनामावली स्तोत्र का महत्व और कैसे यह खुशी से भर देगी आपका घर

शतनामावली स्तोत्र का महत्व

Honey Chahar
3 Min Read

जन्माष्टमी, जो भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस साल, जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को, सोमवार को मनाई जाएगी। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर यह पर्व विशेष उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर भगवान कृष्ण के शतनामावली स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत लाभकारी और कल्याणकारी माना जाता है।

जन्माष्टमी का महत्व

जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म की वर्षगांठ के रूप में मनाई जाती है। इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी या श्रीजयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भक्तों द्वारा कठिन उपवास करने और भगवान कृष्ण की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में खुशहाली आती है।

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शतनामावली स्तोत्र का महत्व

श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र, भगवान कृष्ण के सौ नामों का एक संग्रह है, जिसे इस दिन विशेष रूप से पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों और गुणों की सराहना करता है और भक्तों को उनके दिव्य कृपा की अनुभूति कराता है।

श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र

श्रीकृष्णः कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !
वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः !
चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशंखाद्युदायुधः ॥

देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः !
यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः ॥

पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः !
नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः ॥

नवनीतविलिप्ताङ्गो नवनीतनटोऽनघः !
नवनीतनवाहारो मुचुकुंदप्रसादकः ॥

षोडशस्त्रीसहस्रेशो त्रिभंगीललिताकृतिः !
शुकवागमृताब्धीन्दुः गोविन्दो गोविदां पतिः ॥

वत्सवाटचरोऽनन्तो धेनुकासुरमर्द्दनः !
तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः ॥

उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः !
गोपगोपीश्वरो योगी कोटिसूर्यसमप्रभः ॥

इलापतिः परंज्योतिः यादवेन्द्रो यदूद्वहः
वनमाली पीतवासा पारिजातापहारकः ॥

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गोवर्धनाचलोद्धर्त्ता गोपालस्सर्वपालकः !
अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः ॥

मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली !
वृन्दावनांतसञ्चारी तुलसीदामभूषणः ॥

स्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः !
कुब्जाकृष्टांबरधरो मायी परमपूरुषः ॥

मुष्टिकासुरचाणूरमल्लयुद्धविशारदः !
संसारवैरि कंसारी मुरारी नरकान्तकः ॥

अनादिब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्शकः !
शिशुपालशिरच्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकः ॥

विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः !
सत्यवाक्सत्यसंकल्पः सत्यभामारतो जयी ॥

सुभद्रापूर्वजो विष्णुः भीष्ममुक्तिप्रदायकः !
जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुनादविशारदः ॥

वृषभासुरविध्वंसी बाणासुरबलांतकः !
युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः ॥

पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः !
कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदांबुजः ॥

दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशकः
नारायणः परंब्रह्म पन्नगाशनवाहनः ॥

जलक्रीडासमासक्तगोपीवस्त्रापहारकः !
पुण्यश्लोकस्तीर्थपादो वेदवेद्यो दयानिधिः ॥

सर्वभूतात्मकस्सर्वग्रहरूपी परात्परः !
एवं कृष्णस्य देवस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतं, ॥

कृष्णनामामृतं नाम परमानन्दकारकं,
अत्युपद्रवदोषघ्नं परमायुष्यवर्धनम् !

श्रीकृष्णः कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !
वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के शतनामावली स्तोत्र का पाठ न केवल धार्मिक लाभ प्रदान करता है बल्कि घर में सुख-शांति और खुशी भी लाता है। इस अवसर पर उपवास और पूजा से कान्हा की कृपा प्राप्त कर जीवन में खुशहाली और समृद्धि को बढ़ावा दें।

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