लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व पर्यटन दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश आज न केवल देश, बल्कि पूरी दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। पिछले साल प्रदेश में 46 करोड़ से अधिक पर्यटक आए, जो उत्तर प्रदेश को धार्मिक, आध्यात्मिक, हेरिटेज और ईको टूरिज्म का हब बनाते हैं।
सीएम योगी ने आगामी महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में 40 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक परंपरा का हृदय स्थल उत्तर प्रदेश आज पर्यटन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पर्यटन के विभिन्न आयाम
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि पर्यटक यूपी में केवल पर्यटन के लिए नहीं आते, बल्कि रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। स्पिरिच्युअल टूरिज्म के अंतर्गत रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट और जैन सर्किट जैसे महत्वपूर्ण स्थल हैं। काशी में बाबा विश्वनाथ धाम, अयोध्या, वृंदावन, गोकुल और बरसाना जैसे स्थान दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।
बौद्ध पर्यटन की दृष्टि से सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कौशाम्बी और संकिसा महत्वपूर्ण स्थल हैं। वहीं, जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली अयोध्या और कुशीनगर की पावन धरा जैन टूरिज्म के लिए विशेष महत्व रखती है।
हेरिटेज और ईको टूरिज्म
हेरिटेज टूरिज्म के लिए झांसी का लक्ष्मीबाई किला, आगरा का लालकिला, फतेहपुर सीकरी और लखनऊ का इमामबाड़ा जैसे स्थल प्रमुख हैं। ईको टूरिज्म की दृष्टि से दुधवा, चूका, कतर्नियाघाट, और ओखला बर्ड सेंचुरी जैसी जगहें पर्यटकों को लुभा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पर्यटकों की सुविधा और रुचि के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यूपी अब बेहतरीन कनेक्टिविटी के लिए जाना जाता है, जिसमें सड़क, रेल, जल और हवाई यातायात शामिल हैं।
भविष्य की उम्मीदें
सीएम योगी ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार, उत्तर प्रदेश को एक बेहतरीन टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “विश्व पर्यटन दिवस पर हम झांसी में समारोह मना रहे हैं, और 2025 के महाकुंभ में दुनियाभर के 40 करोड़ श्रद्धालु यूपी की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करेंगे।”
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर रहा है, जो न केवल आर्थिक विकास का माध्यम बनेगा, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि को भी बढ़ावा देगा।