आगरा: आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला गंभीर संकट में फंस गए हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) द्वारा उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश जारी होते ही उन्होंने अपने परिवार के साथ आगरा छोड़ने का निर्णय लिया। अब उनका आवास ताले में बंद है, और पुलिस उनकी तलाश कर रही है।
मामला क्या है?
सीजेएम कोर्ट से आदेश मिलने के बाद लोहामंडी पुलिस ने डॉ. शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष ढल ने तीन महीने पहले न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर डॉ. शुक्ला के खिलाफ आरोप लगाए थे, जिसमें कहा गया था कि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए नौ दस्तावेज फर्जी हैं। इसके अलावा, कॉलेज में वित्तीय घोटालों का भी जिक्र किया गया था।
प्रिंसिपल साहब का गायब होना
आदेश मिलने के कुछ घंटों के भीतर, 27 सितंबर को रात 9:42 बजे, डॉ. शुक्ला ने कॉलेज परिसर में अपने आवास को छोड़ दिया। उन्हें यह आभास हो गया था कि गिरफ्तारी संभव है, इसलिए उन्होंने समय से पहले ही शहर छोड़ने का निर्णय लिया। उनके साथ एक फिजिक्स डिपार्टमेंट के शिक्षक भी हैं, जिनका मोबाइल भी बंद है।
पुलिस की कार्रवाई
लोहामंडी पुलिस ने डॉ. शुक्ला के आवास पर पहुंचकर उन्हें खोजने का प्रयास किया, लेकिन वहां ताला लगा मिला। पुलिस ने डॉ. शुक्ला के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया है, ताकि जैसे ही उनका मोबाइल खोला जाए, उनकी लोकेशन का पता लगाया जा सके।
कानूनी स्थिति
डॉ. शुक्ला के खिलाफ दर्ज आरोप गैर जमानती हैं, जिसमें धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जी दस्तावेज तैयार करना), 468 (धोखाधड़ी के लिए फर्जी दस्तावेज बनाना), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग करना), 386 (जबर्दस्ती वसूली), 406 (जमानत पर धोखाधड़ी), 409 (विश्वासघात), 504 (शांति भंग करने के लिए उकसाना) और 506 (धमकी) शामिल हैं।
डॉ. अनुराग शुक्ला का अचानक गायब होना और उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा अब शिक्षा क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बन गया है। पुलिस की सक्रियता के साथ-साथ इस मामले की आगे की जांच पर सभी की निगाहें हैं। क्या डॉ. शुक्ला जल्दी ही लौटेंगे, या उनकी गिरफ्तारी होगी? यह भविष्य के गर्भ में है।