आगरा, जो एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, प्रतिदिन लगभग 1200 टन कचरा उत्पन्न करता है, जो अधिकांशत: सड़कों पर, यमुना नदी में और जानवरों के लिए छोड़ दिया जाता है। पर्यटक यहां की अस्वच्छ सार्वजनिक शौचालयों और गंदगी से हैरान हैं। जबकि आगरा नगर निगम कचरा प्रबंधन के प्रयास कर रहा है, नागरिकों की जिम्मेदारी की कमी और बुनियादी ढांचे की कमी स्थिति को और बिगाड़ रही है। आवारा जानवर भी साफ-सफाई की समस्याओं को बढ़ाते हैं और सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है। साथ ही जागरूकता अभियानों और बेहतर कचरा प्रबंधन की जरूरत है ताकि शहर की छवि सुधार सकें और आगंतुकों के लिए इसे अधिक आकर्षक बना सकें।
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आगरा, जिसे ताजमहल के लिए जाना जाता है, स्वच्छता की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। यहां प्रतिदिन लगभग 1200 टन कचरा, घरेलू और औद्योगिक कचरा, धूल और पैकेजिंग सामग्री निकाली जाती है। इसका अधिकांश हिस्सा नगर निगम द्वारा उठाया जाता है, लेकिन कई नागरिक इसे इधर-उधर फैला देते हैं, जिससे कुत्ते, गाय, सूअर और बंदर इसका शिकार बनते हैं। एक बड़ा हिस्सा यमुना नदी में भी चला जाता है, जबकि अवैध स्लॉटर हाउस से निकलने वाला कचरा अलग ही समस्या बनता है।
बाहर से आने वाले पर्यटकों की शिकायतें शहर की गंदगी के बारे में हैं। कई पर्यटक सार्वजनिक शौचालयों की दयनीय स्थिति और सड़कों पर फैले गंदगी की ओर इशारा करते हैं। एक फ्रांसीसी पर्यटक ने कहा, “मैंने आगरा से गंदा शहर कभी नहीं देखा। हर जगह मानव मल और गाय का गोबर फैला है।” अमेरिका की लिंडा ने कहा कि केवल होटल ही साफ दिखते हैं, जबकि अन्य जगहें भयानक हैं।
आगरा एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, लेकिन इसकी स्वच्छता से जुड़ी समस्याएं आगंतुकों के अनुभव को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं। कई पर्यटक तो शहर में प्रवेश करने से भी कतराते हैं। गाइड उन्हें होटलों और स्मारकों तक ही सीमित रहने की सलाह देते हैं।
नगर निगम कचरा प्रबंधन में सुधार करने के प्रयास कर रहा है, लेकिन नागरिकों की जिम्मेदारी की कमी और अव्यवस्थित कचरा निपटान प्रणाली की वजह से शहर में गंदगी बढ़ती जा रही है। स्वच्छता के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है, और नतीजतन, सार्वजनिक स्थानों पर कचरे के ढेर लग जाते हैं।
एक प्रमुख समस्या है आवारा जानवरों की उपस्थिति, जो स्वच्छता के लिए खतरा बने हुए हैं। सड़कों पर घूमने वाले बंदर और अन्य जानवर कचरे को फैला देते हैं। इसके अलावा, आगरा के सार्वजनिक शौचालय भी सही तरीके से रखरखाव नहीं किए जाते, जिससे पर्यटकों के लिए अनुभव अप्रिय हो जाता है।
आगरा में नागरिकों में जागरूकता की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। लोग खुले में पेशाब करना या कचरा फेंकना आम समझते हैं, जिससे शहर की छवि प्रभावित होती है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पद्मिनी अय्यर ने कहा, “यहां लोग कहीं भी थूकते हैं, जिससे हालात और खराब हो जाते हैं।”
नगर निगम को चाहिए कि वह नागरिकों में स्वच्छता की भावना पैदा करे। इसके लिए जागरूकता अभियानों और बेहतर कचरा प्रबंधन प्रथाओं को लागू करने की आवश्यकता है। अगर सार्वजनिक स्थानों को साफ-सुथरा रखा जाए, तो यह आगरा के लिए एक बेहतर अनुभव बना सकता है।
अंत में, आगरा में स्वच्छता की समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब नागरिक और प्रशासन मिलकर काम करें। स्मार्ट सिटी मिशन जैसी योजनाएं भी स्वच्छता को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं। अगर सभी मिलकर प्रयास करें, तो आगरा फिर से अपनी सुंदरता और आकर्षण को पा सकता है।
बृज खंडेलवाल वरिष्ठ लेखक, पत्रकार की कलम से