सरकारी दावों और कार्रवाई के बावजूद निजी उर्वरक विक्रेता मनमानी कीमतें वसूल रहे हैं। किसानों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। आलेख में डीएपी की कमी, किसानों की समस्याएं, सरकार की नाकामी और किसानों की आंदोलन की चेतावनी शामिल है। किसानों को डीएपी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें ब्लैक मार्केट का सहारा लेना पड़ रहा है और मनमानी कीमतें चुकानी पड़ रही हैं। सरकार की कार्रवाई का असर निजी विक्रेताओं पर नहीं हो रहा है। किसान नेता गजेंद्र तोमर ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है और क्षेत्र में डीएपी की कीमतें 1660 रुपये प्रति बोरा तक पहुंच जाने की बात कही है।
आगरा। जनपद में डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) खाद की कमी और कालाबाजारी को लेकर किसानों में भारी रोष है। किसानों का आरोप है कि सरकारी दावों के बावजूद डीएपी खाद की उपलब्धता नहीं है, जिससे फसलों की सिंचाई और उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि डीएपी खाद की कमी के कारण किसानों को ब्लैक मार्केटिंग के माध्यम से महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है।
आपको बता दें कि प्रशासनिक तंत्र से लेकर विभागीय अधिकारी लगातार किसानों को डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु मैराथन कर रहे हैं। प्रशासन के प्रयासों पर निजी उर्वरक विक्रेता पलीता लगाने पर तुले हैं। ताजा प्रकरण जनपद के डौकी क्षेत्र अंतर्गत सरवन खाद बीज भंडार का सामने आया है। बताया जाता है कि सोशल मीडिया पर जमकर वायरल वीडियो ने निजी उर्वरक विक्रेताओं की मनमानी और किसानों के आर्थिक उत्पीड़न की पोल खोलकर रख दी है।
वायरल वीडियो में दुकान पर डीएपी लेने पहुंचे किसान को विक्रेता द्वारा साफ शब्दों में बोला जा रहा है कि एनपीके डीएपी ₹1550 एवं कोरोमंडल डीएपी का कट्टा ₹ 1650 में ही मिलेगा। मौके पर विक्रेता और किसान में काफी देर तक दरों को लेकर जिरह हो रही है। किसान द्वारा निर्धारित ₹1350 की दर से डीएपी का कट्टा दिए जाने की मांग पर विक्रेता द्वारा साफ इंकार किया जा रहा है। बड़ा सवाल आखिर यह है कि उर्वरक विक्रेताओं को प्रशासन की कार्रवाई का तनिक भी भय नहीं है। मोटे मुनाफे के लिए किसानों पर आर्थिक चोट की जा रही है।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर निजी दुकानदारों की हुई शिकायत
जनपद के डौकी, कुंडौल क्षेत्र में डीएपी की हो रही जमकर ब्लैक के खिलाफ लामबंद किसान नेता गजेंद्र तोमर ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर प्रभावी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में निर्धारित दर से काफी अधिक 1660 तक डीएपी का कट्टा बेचा जा रहा है। निजी दुकानदारों द्वारा प्रशासनिक दिशा निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। समितियों पर पर्याप्त मात्रा में किसानों को डीएपी मिल नहीं रही, निजी दुकानों पर पहुंचने पर मजबूरी में उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। निजी दुकानदारों से अधिक दर लेने के बाबत पूछे जाने पर उनके द्वारा साफ शब्दों में बोला जाता है कि हमें सरकारी विभागों के अधिकारियों को कमीशन भी देना पड़ता है। गजेंद्र तोमर के मुताबिक प्रशासनिक कार्रवाई सिर्फ दिखावा है। गाड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला जा रहा है।
किसानों की आवाज दबी
किसानों का आरोप है कि डीएपी की कमी के कारण उन्हें ब्लैक मार्केट का सहारा लेना पड़ रहा है। सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाई का असर निजी विक्रेताओं पर नहीं हो रहा है। किसान नेता गजेंद्र तोमर ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है और क्षेत्र में डीएपी की कीमतें 1660 रुपये प्रति बोरा तक पहुंच जाने की बात कही है।
समितियों पर भी सवाल
किसान नेता श्याम सिंह चाहर का कहना है कि समितियों पर भी डीएपी की कालाबाजारी हो रही है। रात में डीएपी से लदे ट्रक उतरते हैं और सुबह तक स्टॉक खत्म हो जाता है। अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है।
प्रशासनिक नाकामी से बिगड़ रहे हालात
इस मामले में किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने भी कड़े तेवर अपना लिए हैम उन्होंने कहा कि समितियों पर रोजाना डीएपी से लदे ट्रक रात में उतरते हैं सुबह होते ही डीएपी का स्टॉक खत्म होने लगता है। रात ही रात में कितने किसान मौके पर डीएपी लेने पहुंचते हैं, यह बेहद ही गंभीर विषय है। समितियों पर तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से ही डीएपी को कालाबाजारी में बेचा जा रहा है। गहराई से जांच होने पर पूरे खेल का पर्दाफाश हो जाएगा। किसान नेता ने चेतावनी दी है कि जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो आंदोलन किया जाएगा।
किसानों का आंदोलन की चेतावनी
यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो किसान आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। किसानों ने मांग की है कि सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करे और डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित करे।