विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर: दोस्ती के अनमोल किस्से

Manasvi Chaudhary
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क्रिकेट की दुनिया में दोस्ती की कई मिसालें देखने को मिलती हैं, लेकिन विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की दोस्ती एक विशेष स्थान रखती है। इन दोनों क्रिकेटरों की दोस्ती ने न केवल खेल को प्रभावित किया, बल्कि उनकी व्यक्तिगत ज़िंदगी में भी गहरी छाप छोड़ी। आइए जानते हैं विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की दोस्ती के कुछ अनमोल किस्से।

1. बचपन की दोस्ती

विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की दोस्ती की शुरुआत बचपन में हुई थी। दोनों ने एक साथ बम्बई के शारीकृत मैदानों पर क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनकी दोस्ती का आधार एक ही मोहल्ला और क्रिकेट के प्रति समान जुनून था। दोनों ने एक साथ अभ्यास करते हुए अपने क्रिकेट कौशल को विकसित किया।

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2. स्कूल के दिन

विनोद और सचिन ने एक साथ खेलते हुए कई इंटर-स्कूल टूर्नामेंट्स में भाग लिया। सचिन की प्रतिभा और विनोद की ताकत ने उन्हें कई मैचों में जीत दिलाई। उनके इस साझे अनुभव ने उन्हें एक मजबूत दोस्ती में बदल दिया। विनोद अक्सर सचिन को उनके खेल के प्रति प्रोत्साहित करते थे।

3. इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत

जब सचिन ने 1989 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा, तो विनोद कांबली ने भी उनका समर्थन किया। सचिन की उपलब्धियों पर विनोद गर्व करते थे और हमेशा उनके साथ खड़े रहते थे। दोनों ने एक-दूसरे की सफलता का जश्न मनाया और कभी-कभी एक-दूसरे के लिए खेल के दौरान टिप्स भी साझा किए।

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4. 1996 का विश्व कप

1996 का विश्व कप भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की जोड़ी ने टीम को कई बार मुश्किल परिस्थितियों से निकाला। उनके बीच की दोस्ती ने उन्हें एकजुट रखा, जिससे उन्होंने उच्च स्तर पर प्रदर्शन किया। हालांकि, विनोद के प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव आया, लेकिन सचिन ने हमेशा उनका समर्थन किया।

5. संघर्ष और समर्थ

विनोद कांबली के करियर में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन सचिन ने हमेशा उन्हें प्रेरित किया। जब विनोद को क्रिकेट से ब्रेक लेना पड़ा, तब सचिन ने उन्हें याद दिलाया कि वे हमेशा उनके साथ हैं। सचिन की इस दोस्ती ने विनोद को अपने आप में विश्वास बनाए रखने में मदद की।

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6. हाल के दिनों की दोस्ती

आज भी, सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की दोस्ती बरकरार है। वे अक्सर एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हैं। विनोद ने कई बार कहा है कि सचिन उनके लिए सिर्फ एक साथी नहीं, बल्कि एक सच्चे दोस्त हैं।

 

 

 

 

 

 

 

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