बहराइच में आदमखोर भेड़ियों का आतंक: ड्रोन से दिखते हैं, लेकिन पकड़ में नहीं आ रहे

BRAJESH KUMAR GAUTAM
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बहराइच में आदमखोर भेड़ियों के हमलों से दहशत का माहौल है। वन विभाग ड्रोन से भेड़ियों को ढूंढ रहा है लेकिन वे पकड़ में नहीं आ रहे हैं। गांव वाले रात-रात भर जाग रहे हैं और बच्चों को घरों में कैद कर रखा है।

लखनऊ। यूपी के बहराइच जिले में नौ लोगों को शिकार बनाकर दहशत फैलाने वाले छह आदमखोर भेड़ियों में से दो अभी भी वन विभाग के लिए चुनौती बने हुए हैं। विभाग की 16 टीमें इन दो भेड़ियों को पकड़ने की कोशिशों में लगी हुई हैं। दोनों ही जिलों के दर्जनों गांवों में भेड़ियों का खौफ इस कदर है कि यहां के लोगों की नींद उड़ी हुई है।

आदमखोर भेड़ियों ने गांव के लोगों पर हमले कुछ माह पहले शुरू किए थे। भेड़ियों ने एक-एक कर नौ लोगों (अधिकांश बच्चे) को मार डाला तो गांवों के लोग दहशत में आ गए। वन विभाग ने प्रारंभ में इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया। क्षेत्रीय विधायक ने यह मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष रखा तो वन विभाग की सक्रियता बढ़ी। विभाग के वरिष्ठतम अधिकारियों को लखीमपुर में भेजा गया।

मुख्यमंत्री की सख्ती का ही नतीजा है कि वन विभाग के सारे आला अफसर इन दिनों भेड़ियों के हमलों से प्रभावित गांवों के आसपास कैंप कर रहे हैं। ड्रोन कैमरों से भेड़ियों की तलाश की जा रही है। तीन भेड़िए तो पहले ही पकड़े जा चुके थे। बीते दिन एक और आदमखोर भेड़िया वन विभाग के जाल में फंस गया। अब दो भेड़िए और बचे हैं, जिनकी तलाश जोर-शोर से चल रही है। यूपी के वन मंत्री भी प्रभावित जिलों का दौरा कर पीड़ित परिवारों से मिल चुके हैं। भेड़िए ड्रोन के जरिए दिख तो जाते हैं लेकिन जब तक वन विभाग की टीम वहां पहुंचती है, वे वहां से कहीं दूर जा चुके होते हैं। इस प्रकार ये दो भेड़िए पकड़ में नहीं आ पा रहे।

डर के साये में जी रहे हैं लोग

भेड़ियों के आतंक से प्रभावित गांवों के लोग रात-रात भर जागकर पहरेदारी कर रहे हैं। गांवों के बाहर मचान बना लिए हैं। इन मचानों पर गांव के लोग क्रम से ड्यूटी देते हैं। मचानों पर बैठकर यह देखा जाता है कि कोई भेड़िया गांव की तरफ तो नहीं आ रहा। भेड़िया दिखने पर मचान पर बैठा व्यक्ति शोर मचाकर गांव वालों को सावधान कर देता है। खतरा देखकर गांव वाले भी लाठी-डंडे और अन्य हथियार लेकर गांव के बाहर मोर्चा संभाल लेते हैं।

वन विभाग की नाकाम कोशिशें

प्रभावित गांवों के लोगों को अपने दैनिक कामों की वजह से घर से भी निकलना पड़ता है। भेड़िया कब और कहां हमला कर दे, इस आशंका से गांववासी कहीं जाते भी हैं तो झुंड बनाकर जाते हैं। इन गांव वालों के पास लाठी-डंडे और अन्य हथियार भी होते हैं। भेड़ियों ने अब तक ज्यादातर बच्चों को अपना शिकार बनाया है, इसलिए गांववासियों ने अपने बच्चों को तो घरों के अंदर कैद कर दिया है। माएं हर वक्त बच्चों पर नजर रख रही हैं ताकि बच्चा घर से बाहर न निकल जाए।

बहराइच जिले की महसी तहसील के तीन दर्जन से ज्यादा गांवों में भेड़ियों के हमले ज्यादा हुए हैं। ये हमले यूं तो कई माह पहले से हो रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इनमें ज्यादा तेजी आ गई थी। आदमखोर भेड़ियों ने अब तक पांच दर्जन से अधिक बार लोगों पर हमला किया है। इस समय दहशत का आलम यह है कि शाम ढलने से पहले ही लोग अपने घरों तक पहुंच जाते हैं ताकि अंधेरा होने पर भेड़िए के शिकार न बन जाएं।

भेड़ियों के बारे में कहा जाता है कि ये आमतौर पर इंसानों पर हमले नहीं करते, लेकिन अगर इनके मुंह एक बार इंसानी खून लग जाए तो फिर से ये आदमखोर बन जाते हैं। बहराइच में सक्रिय छह आदमखोर भेड़ियों में से छह के पकड़े जाने के बाद वन विभाग अब इनका परीक्षण कराकर यह जानने की कोशिश कर रहा है कि ये आदमखोर कैसे बने।

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