आने बाली नस्लें फिर मुहब्बत को तरसेंगी-संजीव चौहान शारिक़

Sumit Garg
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कवि सम्मलेन में आगरा से युवा कवि एवं शायर डॉ संजीव चौहान शारिक़ ने एक़ बार फिर सामाजिक परिवेश में फ़ैल रही नफरतों बार करते हुए ।प्रीत मुहब्बत समता के विश्वासों क़ो खा जाती है। चाहे कितने भी हों आपने खासों क़ो खा जाती है
नफ़रत ऐसी डायन है बस खून की प्यासी होती है। मानवता के सारे ही अहसासों क़ो खा जाती है, मंदिर पूजा तो मस्जिद इबादत को तरसेंगी
कच्ची कलियाँ फिर सखावत को तरसेंगी, सम्भाले नहीं गये हालत तो याद ही रखना ।आने बाली नसलें फिर मुहब्बत को तरसेंगी,पहले तुमको जहरीली फिजा में उतारा जायेगा। उन्मादी महफ़िल में तुमको और निखारा जायेगा,गर न समझे सियासी साजिश नई उमर के लड़को
हिन्दू मुस्लिम कर-कर तुमको रोज ही मारा जायेगा। जैसी कविताओं के माध्यम से प्रांगण का माहौल गंगा जमुनी तहजीबी बना दिया
उत्तर प्रदेश हिंदी प्रचार समिति बदायूं केस कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य सूचना आयुक्त श्री स्वतंत्र प्रकाश गुप्त जी जिलाधिकारी महोदया बदायूं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बदायूं एवं उत्तर प्रदेश हिंदी प्रचार समिति के अध्यक्ष विष्णु असावा जी षटवदन शंखधार जी पवन शंखधार जी अचिन मासूम जी एवं देश के अलग-अलग कोने से आए हुए साहित्यकार एवं कवियों ने किया।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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