किरावली: पट्टे की सरकारी जमीन पर कब्जा, फिर से जोत डाली – अधिकारियों की लापरवाही से हुआ बड़ा विवाद

Jagannath Prasad
5 Min Read
सरकारी भूमि के साथ ही ग्राम प्रधान और खुद की जमीन जोतने की समाधान दिवस में शिकायत दर्ज कराते रालोद नेता मुकेश डागुर।
किरावली के भड़कौल गांव में 18 बीघा सरकारी जमीन पर बावरिया जाति के लोगों ने कब्जा कर लिया और ट्रैक्टर से जोत डाली। यह विवाद तहसील किरावली के राजस्व विभाग की लापरवाही का परिणाम है। रालोद नेता मुकेश डागुर ने समाधान दिवस में इस मामले को उठाया, जिससे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए।
आगरा (किरावली) । एक समय था जब “बावरिया” शब्द सुनते ही अपराधियों और आपराधिक वारदातों की छवि मन में आ जाती थी, लेकिन आजकल बावरिया समाज चर्चा में है, वह भी किसी अपराध को लेकर नहीं, बल्कि एक बड़े ज़मीन के विवाद को लेकर। तहसील किरावली के गांव भड़कौल में एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां 18 बीघा वेशकीमती सरकारी जमीन को पहले कुछ बावरिया लोगों ने बेच दिया और फिर जब सरकार ने उस जमीन को पुनः अपने नाम किया, तो उन्हीं लोगों ने फिर से उस पर कब्जा कर ट्रैक्टर से जोत भी डाली।

यह सब कुछ तहसील किरावली के राजस्व विभाग की लापरवाही से हुआ है। यदि समय रहते इस सरकारी जमीन को राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर लिया जाता, तो यह विवाद नहीं उठता। इस मामले ने तहसील प्रशासन की कार्यप्रणाली और अधिकारियों की लापरवाही को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया है।

See also  The Three Famous Temples of Vrindavan: Radha Raman, Banke Bihari, and Prem Mandir

रालोद नेता मुकेश डागुर ने उठाया मामला

किरावली में आयोजित समाधान दिवस के दौरान रालोद नेता और समाजसेवी मुकेश डागुर ने भड़कौल गांव की इस ज़मीन पर हुए विवाद को एसडीएम किरावली राजेश कुमार के सामने रखा। मुकेश डागुर ने ज़मीन के संबंध में सभी दस्तावेज़ और न्यायालय के आदेश दिखाए, जिनके आधार पर एसडीएम भी चौंक गए और मामले की गंभीरता को समझा।

मुकेश डागुर ने बताया कि बावरिया जाति के कुछ लोगों ने न सिर्फ 18 बीघा सरकारी भूमि पर कब्जा किया, बल्कि ग्राम प्रधान ओमप्रकाश की निजी जमीन पर भी ट्रैक्टर चलाया। ग्राम प्रधान ओमप्रकाश ने इस मामले में थाना फतेहपुरसीकरी में एफआईआर भी दर्ज कराई है।

भड़कौल के बावरिया और ज़मीन का इतिहास

भड़कौल गांव में कभी बावरिया जाति के करीब दस परिवार रहते थे। इन परिवारों को 18 बीघा सरकारी भूमि के पट्टे मिले थे। 2002 में कुछ बावरिया लोग अपराधी गतिविधियों में शामिल हुए और पुलिस के साथ मुठभेड़ में घायल हो गए। इसके बाद ये लोग भरतपुर जिले के आजाद नगर गांव में बस गए।

See also  लोधी समाज का प्रतिभा महोत्सव: कल होगा छात्रों और अधिकारियों का भव्य सम्मान

वहीं, 2007 में, इन बावरिया परिवारों ने प्रशासन से अनुमति के बिना अपनी पट्टे की जमीन को आगरा के सुशील कुमार को बेच दिया। चूंकि पट्टे की जमीन को बेचा नहीं जा सकता था, मामला न्यायालय तक पहुंचा और काफी वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद 2018 में न्यायालय ने उस बैनामा को शून्य घोषित कर दिया। इसके साथ ही सारी जमीन राज्य सरकार के अधीन कर दी गई थी।

राजस्व विभाग की लापरवाही से हुआ विवाद

न्यायालय के आदेश के बावजूद तहसीलदार किरावली ने उस जमीन को सरकारी अभिलेखों में दर्ज नहीं किया, जिससे जमीन पर कब्जा करने वालों को मौका मिल गया। परिणामस्वरूप, भड़कौल के बावरिया समाज के लोग, जो अब आजाद नगर में रह रहे थे, ने इस सरकारी जमीन पर फिर से कब्जा कर लिया और ट्रैक्टर से उसे जोत भी डाला।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

जब यह मामला समाधान दिवस में एसडीएम के समक्ष लाया गया, तो तहसीलदार देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि “इस प्रकरण का अवलोकन कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, इस दौरान लेखपाल से लेकर अन्य अधिकारी भी मामले से पल्ला झाड़ते हुए नजर आए।

See also  झाँसी में ट्रेन यात्री की संदिग्ध मौत: गोरखपुर से पुणे जा रही ट्रेन में बिगड़ी तबीयत, मोंठ स्टेशन पर उतारा गया शव

भड़कौल गांव में सरकारी जमीन के इस विवाद ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया है। अगर समय रहते राजस्व अभिलेखों में यह जमीन सरकारी के रूप में दर्ज की जाती, तो इस विवाद से बचा जा सकता था। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या न्याय दिलवाने में सफल होता है।

See also  यमुना में डूबीं 6 किशोरियां: आगरा में मातम, 4 की मौके पर, 2 की अस्पताल में मौत; मुख्यमंत्री ने 4-4 लाख की सहायता राशि की घोषणा
Share This Article
1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement