आगरा: नगर आयुक्त ने पटल सहायक को लापरवाही के कारण निलंबित किया, फाइल दबाने का मामला

Rajesh kumar
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आगरा नगर निगम में पटल सहायक पियुष कुमार सिंह को लापरवाही के चलते निलंबित किया गया। यह कार्रवाई भवन के म्यूटेशन मामले में फाइल दबाने और समय पर सुधार न करने पर की गई। नगर आयुक्त ने मामले को गंभीरता से लिया।

आगरा: कार्य में लापरवाही बरतने के कारण नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने एक पटल सहायक (बाबू) को निलंबित कर दिया है। यह मामला छत्ता वार्ड में एक भवन के म्यूटेशन से संबंधित है। शिकायत में कहा गया था कि भवन स्वामी की संपत्ति पर गलत नाम दर्ज कर दिया गया था, जिसे सुधारने की प्रक्रिया में लापरवाही बरती गई।

क्या था मामला?

स्व. उमा देवी पत्नी स्व. अमर नाथ बंसल द्वारा भवन के नामांतरण के संबंध में एक शिकायत दर्ज की गई थी। शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि भवन स्वामी 21-18 डी के मालिक हैं, जिसका क्षेत्रफल 1080.28 वर्ग मीटर है। इस संपत्ति का लगभग 288.34 वर्ग मीटर का हिस्सा गिर्राज किशोर बंसल को 8 सितंबर 2021 को बेचा गया था। हालांकि, नगर निगम के कर निर्धारण के लिए इस संपत्ति के पूरे हिस्से पर ही गिर्राज किशोर बंसल का नाम दर्ज कर दिया गया, जबकि वह सिर्फ एक हिस्से के ही हकदार थे।

गिर्राज किशोर बंसल ने इस संपत्ति के जुजभाग पर अपने नामांतरण के लिए नगर निगम में पत्रावली भेजी थी, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते नगर निगम के पोर्टल पर जुजभाग के स्थान पर पूरी संपत्ति के मालिक का नाम दर्ज कर दिया गया। इसके बाद नगर निगम को इस त्रुटि को सुधारने के लिए निर्देश दिए गए, लेकिन लापरवाही के चलते फाइल दबाकर रख ली गई।

लापरवाही की शिकायत और कार्रवाई:

इस मामले में जब पार्षद मुरारी लाल अग्रवाल ने नगर आयुक्त से शिकायत की, तो नगर आयुक्त ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दिए। जांच में यह पाया गया कि संबंधित पटल सहायक पियुष कुमार सिंह ने इस त्रुटि को सुधारने के बजाय फाइल दबा दी और समय पर कार्यवाही नहीं की। नियमानुसार, उसे 24 घंटे के भीतर रिकॉर्ड सही करना था, लेकिन उसने यह कार्य नहीं किया।

नगर आयुक्त ने इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए पियुष कुमार सिंह को निलंबित करने के आदेश दिए।

नगर आयुक्त का बयान:

नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने कहा कि इस प्रकार की लापरवाही को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका कहना था कि नगर निगम की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए सभी कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और जनता से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया में देरी या लापरवाही से बचना होगा।

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