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आगरा में उच्च न्यायालय की पीठ की स्थापना: वकीलों के आंदोलनों के बावजूद, सरकार की निष्क्रियता

Dharmender Singh Malik
6 Min Read

आगरा में उच्च न्यायालय की पीठ की आवश्यकता और सरकार की चुप्पी

आगरा में उच्च न्यायालय की पीठ की स्थापना की मांग वर्षों से जारी है, लेकिन इसके बावजूद इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। वकील संगठन, जनसमूह और राजनीतिक नेताओं द्वारा लगातार इस मुद्दे को उठाया गया, बावजूद इसके आगरा में उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित करने की कोई ठोस संभावना नजर नहीं आ रही है। इस विषय पर जसवंत सिंह कमिशन की सिफारिश भी की गई थी, लेकिन यह सिफारिश भी अब ठंडे बस्ते में चली गई है।

बीजेपी नेता और अन्य राजनीतिक दल आगरा में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के लिए आंदोलन कर रहे थे, लेकिन अब इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों और सरकार की चुप्पी इसे और जटिल बना रही है।

उत्तर प्रदेश का विकास और पुनर्गठन की आवश्यकता

उत्तर प्रदेश, जहां की जनसंख्या 20 करोड़ से अधिक है, एक विशाल राज्य है। यहां की राजनीतिक और प्रशासनिक संरचना इतनी जटिल हो चुकी है कि यह शासन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने में अक्षम हो गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि राज्य की जनता को न्याय और प्रशासन में देरी का सामना करना पड़ता है। यहां की भौगोलिक स्थिति और जनसंख्या वितरण को देखते हुए कई समाजशास्त्रियों और राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन की आवश्यकता है।

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राजनीतिक पुनर्गठन पर समाजशास्त्रियों की राय

राजनीतिक टिप्पणीकार प्रोफेसर पारस नाथ चौधरी के अनुसार, “1956 में भाषाई आधार पर राज्यों का गठन किया गया, लेकिन यह प्रक्रिया जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक दक्षता जैसे महत्वपूर्ण कारकों को नजरअंदाज करती है। इसके परिणामस्वरूप एक जटिल शासन प्रणाली विकसित हो गई है, जो प्रभावी प्रशासन और न्यायिक प्रतिनिधित्व में बाधा डाल सकती है।”

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के पुनर्गठन की आवश्यकता इस कारण से है क्योंकि इन राज्यों का आकार प्रशासन को जटिल बना देता है। उत्तर प्रदेश की विशाल जनसंख्या और भौगोलिक आकार को देखते हुए, इसे छोटे राज्यों में विभाजित करने से केंद्रित शासन की सुविधा हो सकती है, जिससे बेहतर प्रशासन और विकास की संभावना बन सकती है।

उच्च न्यायालय की पीठों की स्थापना की आवश्यकता

वरिष्ठ पत्रकार अजय झा का कहना है, “इतनी विविध आबादी वाले राज्य में एक ही उच्च न्यायालय की पीठ से काम नहीं चल सकता। राज्य को छोटे हिस्सों में बांटने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि प्रशासन और न्यायिक प्रक्रिया को क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला जा सके।”

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इसके अतिरिक्त, न्यायिक क्षेत्र में सुधार के लिए बड़े राज्यों में विभिन्न स्थानों पर उच्च न्यायालय की पीठों का निर्माण जरूरी है। वर्तमान में, कई क्षेत्रों को केंद्रीय उच्च न्यायालय पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे देरी और अक्षमताएं होती हैं। यदि आगरा और अन्य प्रमुख शहरों में उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित की जाए, तो यह नागरिकों के लिए कानूनी सहायता को अधिक सुलभ बना सकता है और न्यायिक प्रक्रिया को सुचारु रूप से चला सकता है।

बीजेपी की चुप्पी और जनप्रतिनिधियों की भूमिका

यहां पर एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि भारतीय जनता पार्टी, जो इस समय उत्तर प्रदेश में सत्ता में है, वह क्यों इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। बीजेपी द्वारा वर्षों से उच्च न्यायालय की पीठ की स्थापना की बात की गई थी, लेकिन आज भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस बारे में पार्टी का दृष्टिकोण अब तक स्पष्ट नहीं है।

वहीं, समाज के विभिन्न वर्गों से भी उच्च न्यायालय की पीठ के निर्माण की मांग लगातार उठ रही है। BSP सुप्रीमो मायावती ने भी विधानसभा में यूपी के विभाजन की मांग की थी, ताकि प्रशासन और विकास को प्रभावी ढंग से बढ़ावा दिया जा सके।

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समय की मांग है न्यायिक और प्रशासनिक सुधार

उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की पीठ की स्थापना की मांग और राज्य के पुनर्गठन का मुद्दा अब बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। इसके लिए वकील संगठन और नागरिक समाज लगातार आंदोलन कर रहे हैं, और यह समय की मांग है कि सरकार इस पर ध्यान दे। राज्य के विशाल आकार को देखते हुए छोटे राज्यों का गठन और उच्च न्यायालय की पीठों का निर्माण ना केवल प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाएगा, बल्कि न्याय की उपलब्धता को भी सुलभ करेगा।

इस मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता और चुप्पी एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। समय आ गया है कि सरकार इस दिशा में गंभीर प्रयास करे और उत्तर प्रदेश के विकास और न्यायिक सुधार के लिए जरूरी कदम उठाए।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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