UP News: लखनऊ । अंबेडकर नगर जिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पुलिस अधिकारियों को दिए गए कड़े निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिले में यह देखा जा रहा है कि कई दागदार पुलिस अधिकारियों को थानों का प्रभार दिया गया है, जबकि स्वच्छ छवि के थानाध्यक्ष गिने-चुने थानों पर नजर आ रहे हैं। यह दागदार अधिकारी राज्य और जिला प्रशासन की छवि को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
UP News: अंबेडकर नगर जिले के अहिरौली थाना क्षेत्र में एक मामला सामने आया है, जो अब प्रदेश की मुख्यधारा में छाया हुआ है। इस मामले में थानाध्यक्ष सुनील कुमार पांडे की एक रिकॉर्डिंग वायरल हो गई, जिसमें वह ब्राह्मण महासभा के एक पदाधिकारी से बातचीत करते हुए कहते हैं, “मैं अपने ब्राह्मण भाई पर कोई कार्रवाई नहीं करूंगा, लेकिन दूसरे पक्ष पर बंपर कार्रवाई करूंगा।” इस रिकॉर्डिंग के वायरल होने के बावजूद भी पुलिस अधीक्षक अंबेडकर नगर ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जो पुलिस प्रशासन के लिए गंभीर प्रश्न उठाता है।
वायरल रिकॉर्डिंग के बावजूद कार्रवाई की अनुपस्थिति
UP News: वायरल रिकॉर्डिंग और उसके बाद थानाध्यक्ष द्वारा दूसरे पक्ष के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद यह मामला फिर से चर्चा में आया। जब जिले के व्यापारी संगठनों के पदाधिकारी पुलिस कप्तान के पास शिकायत लेकर पहुंचे, तब जाकर व्यापारियों को राहत मिली। हालांकि, सवाल यह है कि जब कानून के रक्षक ही जाति और धर्म देखकर कार्रवाई करने लगेंगे, तो केंद्र और राज्य सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के संकल्प पर असर कैसे पड़ेगा?
पुलिस कप्तान की कार्यशैली पर सवाल
UP News: इस मामले में पुलिस कप्तान की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। अगर पुलिस कप्तान ने थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, तो यह आम जनता के बीच पुलिस की छवि को और भी दागदार कर देगा। ऐसे में आवश्यक है कि पुलिस कप्तान इस मामले की गंभीरता को समझते हुए अहिरौली थाने में निष्पक्ष तरीके से जांच के लिए एक नया थानाध्यक्ष नियुक्त करें, ताकि लोगों का विश्वास पुलिस पर कायम हो सके।
पुलिस अधीक्षक का कोई जवाब नहीं
हमारे संवाददाता ने वायरल रिकॉर्डिंग और संबंधित प्रकरण पर पुलिस अधीक्षक अंबेडकर नगर से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन हर बार पी.आर.ओ. द्वारा पुलिस अधीक्षक के व्यस्त होने का हवाला देते हुए संपर्क करने से इनकार किया गया।
अंबेडकर नगर जिले में पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अगर कार्रवाई में देरी होती है और जिम्मेदार अधिकारियों को सजा नहीं मिलती है, तो यह आम जनमानस में पुलिस के प्रति बढ़ते विश्वास को और भी कमजोर कर देगा। अब देखना यह है कि पुलिस कप्तान इस मामले पर कब तक कार्रवाई करते हैं।