फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के जसराना रेंज में स्थित जसराना देहात में एक अजीब घटना घटी, जब एक पांच फुट लंबा मगरमच्छ शहरी बस्ती में घुस आया और एक पानी से भरे गड्ढे में फंस गया। इस घटना ने स्थानीय समुदाय को चिंता में डाल दिया, लेकिन वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग के संयुक्त प्रयासों से मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से बचा लिया गया और उसे उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया।
यह घटना तब सामने आई जब मगरमच्छ रिहायशी इलाके में घुसकर एक पानी से भरे गड्ढे में फंस गया। जब स्थानीय ग्रामीणों ने इसे देखा तो वे चिंतित हो गए और तत्काल वन विभाग से संपर्क किया। वन विभाग ने वाइल्डलाइफ एसओएस की आपातकालीन हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर सहायता की सूचना दी, जिसके बाद वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम मौके पर पहुंची।
बचाव अभियान की शुरुआत
वाइल्डलाइफ एसओएस की रैपिड रिस्पांस यूनिट की तीन सदस्यीय टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आवश्यक बचाव उपकरणों और पिंजरे के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति का आकलन किया। एक घंटे के कठिन और सावधानीपूर्वक ऑपरेशन के बाद, टीम ने पांच फुट लंबे मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों और वन विभाग की त्वरित मदद ने बचाव कार्य को सुगम बनाया।
मगरमच्छ की सुरक्षित वापसी
बचाव के बाद, मगरमच्छ को पूरी तरह से स्वस्थ पाया गया और उसे उसके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया गया। इस बचाव अभियान में वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस की प्रभावी टीम वर्क की सराहना की गई, जिससे यह सुनिश्चित हो सका कि मगरमच्छ को बिना किसी हानि के सुरक्षित रूप से वापस भेजा जा सके।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक का बयान
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “यह बचाव अभियान स्थानीय समुदायों, वन विभाग और वन्यजीव संगठनों के बीच सहयोग की अहमियत को उजागर करता है। हम स्थानीय ग्रामीणों की त्वरित कार्रवाई और वन विभाग के सहयोग के लिए आभारी हैं, जिन्होंने इस अभियान को सफल बनाने में मदद की। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे समन्वय से और अधिक वन्यजीवों को संरक्षित किया जाएगा।”
वन विभाग के रेंज अधिकारी का बयान
जसराना के रेंज वन अधिकारी, आशीष कुमार ने भी इस अभियान की सराहना करते हुए कहा, “इस तरह के बचाव अभियान वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस के बीच मजबूत साझेदारी और प्रभावी टीम वर्क का उदाहरण हैं। सभी ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जाए और उसे उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाए।”
मगरमच्छ का महत्व और संरक्षण
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा, “मगरमच्छ पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये न केवल जलाशयों में मछलियों के संरक्षण में मदद करते हैं, बल्कि वे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के अन्य प्रजातियों के लिए भी आवश्यक हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि वाइल्डलाइफ एसओएस हेल्पलाइन क्षेत्र में वन्यजीव आपात स्थितियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करता रहेगा, ताकि किसी भी वन्यजीव संकट का तुरंत समाधान किया जा सके।
मगरमच्छ का संरक्षण
यह मगरमच्छ मार्श मगरमच्छ (Crocodylus palustris) था, जो भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। यह आमतौर पर मीठे पानी के वातावरण जैसे नदियों, झीलों, पहाड़ी झरनों, गाँव के तालाबों और मानव निर्मित जलाशयों में रहता है। मगरमच्छ भारत सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षित प्रजाति है, और इसे शिकार और अन्य मानव गतिविधियों से बचाया जाता है।
इस बचाव अभियान ने यह साबित कर दिया कि वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग का संयुक्त प्रयास वन्यजीवों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाता है। यह घटना स्थानीय समुदायों, वन विभाग और वन्यजीव संगठनों के बीच बेहतर सहयोग की आवश्यकता को भी उजागर करती है। वाइल्डलाइफ एसओएस की हेल्पलाइन हमेशा वन्यजीव आपात स्थितियों में त्वरित मदद के लिए उपलब्ध रहेगी।