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पूर्व सैनिकों के धरने का 16वां दिन, इंडियन वेटरन आर्गेनाइजेशन ने भी समर्थन दिया

Jagannath Prasad
3 Min Read
पूर्व सैनिकों के धरने का 16वां दिन, इंडियन वेटरन आर्गेनाइजेशन ने भी समर्थन दिया
आगरा : विगत 9 दिसम्बर से शहीद स्मारक आगरा में पूर्व सैनिक संघर्ष समिति द्वारा धरना प्रदर्शन जारी है, जो फौजी परिवार की जमीन पर दबंगों द्वारा किए गए अवैध कब्जे एवं पूर्व सैनिकों से संबंधित अन्य समस्याओं के समाधान के लिए चल रहा है। आज धरने का 16वां दिन था, और अब यह आंदोलन तेज़ी से गति पकड़ने लगा है। विभिन्न पूर्व सैनिक संगठन भी इस धरने के समर्थन में खुलकर सामने आ रहे हैं।

आज इंडियन वेटरन आर्गेनाइजेशन ने कैप्टन ललक सिंह की अध्यक्षता में धरने का समर्थन किया। कैप्टन ललक सिंह ने इस अवसर पर कहा कि, “हमारी मांगे सभी पूर्व सैनिकों के हित में हैं और पूरी तरह से जायज हैं। बावजूद इसके, प्रशासन की तरफ से सोलह दिनों से हो रही अनदेखी बेहद चौंकाने वाली है। ऐसा लगता है कि अधिकारियों की जिम्मेदारी और संवेदनशीलता खत्म हो गई है। हम शीघ्र ही जिलेभर के सभी पूर्व सैनिक संगठनों के साथ मिलकर इस संघर्ष को और मजबूती से आगे बढ़ाएंगे। यह हम सभी की लड़ाई है।”

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धरने के दौरान पूर्व सैनिक संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष महेश चाहर ने कहा, “हम योगी आदित्यनाथ जी पर पूरा विश्वास रखते हैं। उनके नेतृत्व में हमें उम्मीद है कि हमारी समस्याओं का शीघ्र समाधान होगा और हम धैर्य बनाए हुए हैं। जल्द ही हम इस मुद्दे को उनके समक्ष रखेंगे।”

धरने में आज कई प्रमुख पूर्व सैनिक उपस्थित रहे, जिनमें महेश चाहर, वीरपाल चाहर, तेजवीर सिंह, भोजकुमार फौजी, कैप्टन ललक सिंह, रणवीर सिंह, के एम सिंह, रामवतार, लोकेश सिकरवार, श्यामबाबू शर्मा, मुकेश शर्मा, राजवीर सोलंकी, नाहर सिंह चाहर, सुरेंद्र चाहर, दास कुमार, अजय राजपूत, प्रणवीर सिंह आदि शामिल थे।

सोलह दिन से जारी धरना अब एक बड़े आंदोलन में तब्दील हो चुका है, और हर गुजरते दिन के साथ यह मुद्दा अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। धरने में शामिल पूर्व सैनिकों की मुख्य मांगें उनकी जमीनों की रक्षा, उनके सम्मानजनक अधिकारों का संरक्षण और प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की हैं। इसके अलावा, इन सैनिकों की अन्य सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान भी किया जाना चाहिए।

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यह धरना आंदोलन न केवल फौजी परिवारों के लिए एक बड़ा संघर्ष बन चुका है, बल्कि यह प्रशासन के प्रति उनके अधिकारों की रक्षा की आवाज़ भी बन रहा है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले को कितनी शीघ्रता से सुलझाता है।

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