उत्तर प्रदेश: पंजाब के फाजिल्का जिले के ग्राम किलियांवाली निवासी 6 वर्षीय मोहब्बत ने 1000 किलोमीटर की ऐतिहासिक दौड़ पूरी कर शुक्रवार को अयोध्या पहुंचकर सबका दिल जीत लिया। इस असाधारण उपलब्धि पर मोहब्बत को अयोध्या में भव्य स्वागत प्राप्त हुआ, जो न केवल उनके समर्पण और मेहनत की पहचान है, बल्कि यह पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गया है।
अयोध्या में भव्य स्वागत
मोहब्बत की इस शानदार उपलब्धि पर अयोध्या के विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने उन्हें माला पहनाकर और राम नाम की शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। उन्होंने मोहब्बत के पिता रिंकू को भी बधाई दी और इस अद्वितीय कार्य को समाज के लिए प्रेरणादायक बताया। विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने कहा, “मोहब्बत और उनके परिवार ने एक ऐसा कार्य किया है जो पूरी दुनिया के लिए मिसाल है, उनकी मेहनत और नीयत ने यह साबित कर दिया कि कोई भी कार्य असंभव नहीं है।”
नशा मुक्त भारत का संदेश
मोहब्बत की इस दौड़ का उद्देश्य नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाना है। मोहब्बत के पिता रिंकू ने बताया कि उनका बेटा नशे के खिलाफ एक मजबूत आवाज उठाने के लिए यह लंबा सफर तय कर रहा है। मोहब्बत ने पिछले साल ही तय किया था कि वह अयोध्या तक दौड़ेगा और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उसने लगातार कठिन मेहनत की। उनका आदर्श महान धावक मिल्खा सिंह हैं, जिन्होंने हमेशा न केवल अपनी दौड़ बल्कि देश को भी गौरव की अनुभूति कराई।
आगे का लक्ष्य
मोहब्बत का अगला लक्ष्य एक अंतरराष्ट्रीय दौड़ में हिस्सा लेना है, जिसमें वह अफ्रीका के 8 वर्षीय धावक के साथ प्रतिस्पर्धा करेगा। मोहब्बत के आत्मविश्वास और समर्पण को देखकर यह साफ जाहिर है कि वह आने वाले समय में बड़े आयोजनों में भी अपनी धावक क्षमता का लोहा मनवाएगा।
स्थानीय लोगों का उत्साह
अयोध्या में मोहब्बत के स्वागत में स्थानीय लोगों का जोश और उत्साह देखने लायक था। विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के साथ अमल गुप्ता, दिनेश मिश्रा, रीना द्विवेदी और अन्य गणमान्य लोग भी इस मौके पर मौजूद रहे। मोहब्बत को देखकर स्थानीय लोग बेहद खुश और गर्व महसूस कर रहे थे, क्योंकि उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से यह साबित किया है कि कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं होता, बशर्ते मेहनत और दृढ़ संकल्प हो।
प्रेरणा का स्रोत
मोहब्बत की यह उपलब्धि न केवल नशे के खिलाफ एक सशक्त संदेश देती है, बल्कि पूरे देश को यह प्रेरणा भी देती है कि एक छोटी उम्र में बड़े सपने कैसे पूरे किए जा सकते हैं। उनकी दौड़ ने यह भी सिद्ध किया कि अगर आत्मविश्वास और सही दिशा में मेहनत की जाए, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। मोहब्बत ने हर किसी को यह समझाया है कि सपने देखना और उन्हें साकार करना किसी भी उम्र में संभव है।
मोहब्बत की इस ऐतिहासिक दौड़ ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया है। उनकी मेहनत और समर्पण ने यह साबित कर दिया है कि चाहे कोई भी उम्र हो, यदि मेहनत और ईमानदारी से कार्य किया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। मोहब्बत की यह यात्रा न केवल नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के उद्देश्य को पूरा करती है, बल्कि यह हर व्यक्ति को यह विश्वास दिलाती है कि वह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, अगर वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए समर्पण और मेहनत करता है।